पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के बंगला छोडऩे के बाद ऐसी भ्रांति प्रबल हो गई है कि जो भी उसमें रहता है, वह गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है। सुषमा के बाद इसे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आवंटित किया गया था, लेकिन वास्तु दोष का पता चलने के बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया।
शिवराज के पास मुख्यमंत्रित्व काल में श्यामला हिल्स स्थित सीएम हाउस के साथ 74 बंगला स्थित बी-8 नंबर का बंगला भी था। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वे 74 बंगला स्थित सरकारी आवास में रहने चले गए।
इस बीच 19 दिसंबर 2018 को उन्हें कमलनाथ सरकार ने सुषमा स्वराज का प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सी-7 नंबर का बंगला अलॉट करते हुए 74 बंगले वाला आवास वित्त मंत्री तरुण भनोत को दे दिया। पहले तो शिवराज ने प्रोफेसर कालोनी वाले बंगले में जाने में रुचि दिखाई, लेकिन बाद में उन्होंने वहां जाने से इनकार कर दिया।
पर्यटन विभाग के पीएस हरिरंजन राव ने बताया कि सीएम ने निर्देश दिए हैं कि बंगले में पर्यटन की दृष्टि से काम हो सकता है। हमने टीम लगाई है। रिपोर्ट आने के बाद कुछ कह पाऊंगा।
दिल्ली के विशेषज्ञ से दिखवाया वास्तु
सूत्रों के मुताबिक, शिवराज ने दिल्ली के एक वास्तु विशेषज्ञ से प्रोफेसर कॉलोनी का बंगला दिखवाया था। उनकी सलाह के बाद उन्होंने पुराने बंगले में ही रहने का निर्णय किया। उधर, भनोत ने भी प्रोफेसर कॉलोनी वाले बंगले में जाने से इनकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, सरकार मौके की जमीन पर बने इस बंगले को होटल बनाकर कमाई बढ़ाने के मूड में हैं। इसलिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा के अनुरूप इसे पर्यटन विकास निगम को देकर यहां हैरिटेज होटल बनाई जाएगी।
वास्तु को लेकर मान्यता
प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सी-7 बंगले के वास्तुदोष को लेकर कई मान्यताएं हैं। नेताओं का मानना है कि इस बंगले में रहने वाला व्यक्ति बाद में अस्वस्थ हो जाता है। लोग इस मामले में सुभाष यादव और सुषमा स्वराज का उदाहरण देते हैं। यह भी माना जाता है कि यहां रहना किसी भी राजनेता की सक्रिय राजनीति का अंतिम पड़ाव होता है। सुभाष यादव के समय इस बंगले के ड्राइंगरूम की छत का एक हिस्सा टूट कर गिरने की घटना भी हुई थी।
प्रकाशचंद सेठी ने बनाया था सीएम हाउस
पॉलिटेक्निक कालेज के सामने बने इस बंगले का इतिहास समृद्ध है। प्रकाशचंद सेठी को यह बंगला अलॉट किया गया था। 1972 में जब सेठी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इसी बंगले को सीएम हाउस बनाया। 1977 तक वे इसी बंगले में रहे। उनके बाद यह तत्कालीन सांसद शिवभानु सोलंकी को अलॉट हुआ। फिर दस साल यहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव रहे और उनके बाद यह सुषमा स्वराज को आवंटित किया गया।