मांग और रेट ज्यादा फिर भी घट रहा शरबती का रकबा
भोपालPublished: Mar 11, 2022 03:16:35 pm
उलटबांसी : बिना सिंचाई पैदा होता है सबसे अच्छा sharbati wheat, दूसरी किस्मों का उत्पादन ज्यादा होने से किसान ले रहे ज्यादा उत्पादन


sharbati wheat
भोपाल. आमतौर पर जिस चीज की बाजार में मांग और कीमत (sharbati gehu price) ज्यादा होती है, उसकी पैदावार में किसान ज्यादा रुचि लेते हैं। पर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की खास पहचान वाले गेहूं शरबती के मामले में यह ठीक उल्टा है। इसका बड़ा कारण है कि सबसे अच्छी क्वालिटी का शरबती गेहूं बिना सिंचाई के पैदा होता है। सिंचाई करने से शरबती गेहूं की क्वालिटी घट जाती है। प्रदेश में बीते कुछ वर्षों में सिंचाई के साधनों में वृद्धि हुई है, सिंचित रकबा बढऩे से अब किसान का फोकस ज्यादा उत्पादन पर रहता है इसलिए इस विश्व प्रसिद्ध गेहूं का रकबा लगातार घट रहा है। किसान शरबती की जगह दूसरी फसल या गेहूं की ही कोई दूसरी वैरायटी की बुवाई कर रहे हैं। पहले अधिकांश किसान शरबती ही पैदा करते थे, अच्छे भाव मिलते थे। पर दूसरी किस्मों का उत्पादन तीन गुना तक है। शरबती एक बीघा में अधिकतम छह क्विंटल और दूसरी किस्म जैसे 322 से 12 और कुछ निजी कंपनियों का हाइब्रिड बीज 19 क्विंटल उत्पादन है। शरबती में कम पानी और न के बराबर खाद की जरूरत होती है। यही वजह है कि बड़ी कंपनियां इस गेहूं को जैविक गेहूं बताकर भी निर्यात करती हैं।
एक खास स्वाद, सोने जैसी चमक और एक समान दाने से खास पहचान बनाने से सीहोरी गेहूं (Sehori gehu) बड़ी कंपनियों में भी लोकप्रिय है। 500 साल पुरानी इस किस्म का अब असल स्वाद वाला शरबती का गढ़ अशोकनगर (Ashok nagar) बन रहा है। अशोकनगर के कृषि एसएडीओ मुकेश रघुवंशी के मुताबिक जिले के शरबती गेहूं के अच्छे होने के तीन कारण है। पहला यहां उर्वरक कम मात्रा में डाला जाता है, दूसरा एक सिंचाई करते हैं और तीसरा जमीन की गहरी मिट्टी है, पोटाश की मात्रा ज्यादा है और अन्य जिलों की तुलना में जमीन से माइक्रो न्यूट्रिएंट सीधे मिल जाते हैं और केमिकल डालने की जरूरत नहीं पड़ती।