रेलवे का मानना है कि इस नई तकनीक से पारदर्शिता के साथ रेल यात्रियों का भरोसा भी बढ़ेगा। हैंड हेल्ड डिवाइस के माध्यम से टीटीई को प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) आरएसी, ट्रेन में खाली सीट की जानकारी आदि ऑनलाइन ट्रेन में उसी समय मिल जाएगी।
आपको बता दें कि भोपाल से दिल्ली और दिल्ली से भोपाल के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस ने नवंबर 2017 में अपने 28 साल पूरे किए थे। इस ट्रेन को सबसे पहले नई दिल्ली से झांसी के बीच चलाया गया था। फिर बाद में ट्रेन को भोपाल तक बढ़ा दिया गया था। ट्रेन में यात्री सुविधाओं को लेकर रेलवे का विशेष फोकस रहता है।
ये हैं शताब्दी के स्टॉपेज
शताब्दी भोपाल से चलकर ललितपुर, झांसी, ग्वालियर, मुरैना, धौलपुर, आगरा कैंट, मथुरा और दिल्ली तक पहुचंती है। 707 किलोमीटर लंबे सफर को ट्रेन 8.30 घंटे में पूरा करती है। ज्यादातर बार ये ट्रेन स्टेशन के श्रेष्ठ प्लेटफार्म पर ही आती है।
जानिए क्यों खास है शताब्दी
शताब्दी एक्सप्रेस 1988 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में शुरू की गई थी। तब इसे देश के लिए बड़ी उपलब्धि माना गया था। वहीं, दूसरे अन्य मामलों में भी शताब्दी एक्सप्रेस को बेहद खास माना जाता है।
150 की रफ्तार से भरती है फर्राटा
दरअसल, शताब्दी भारत की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है। इसकी औसत गति करीब 130 किलोमीटर प्रति घंटा है। दिल्ली और आगरा स्टेशनों के बीच इसकी स्पीड 150 किलोमीटर तक हो जाती है, जो वर्तमान में भारत में सबसे ज्यादा है।