शिवराज सिंह के साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा सीएम पद के गंभीर दावेदार थे। इस बीच थावरचंद गेहलोत का नाम भी चर्चा में आया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा के खेमे में आने से कांग्रेस की सरकार गिरी और भाजपा को सत्ता में जाने का मौका मिला। हालांकि इसके पहले ऑपेरशन लोटस पार्ट-1 फेल हो चुका था।
सिंधिया को भाजपा में लाने का श्रेय केंद्रीय संगठन और खासकर अमित शाह को है। पार्टी ऐसे मौके पर सत्ता की कमान ऐसे अनुभवी चेहरे को देना चाहती थी जो सभी को साथ लेकर चल सके। भाजपा के सामने 24 उपचुनाव की चुनौती भी है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व को शिवराज ही सबसे बेहतर नजर आए। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी तोमर और मिश्रा की जगह शिवराज को ही मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति दी।
नरेंद्र ङ्क्षसह तोमर केंद्र में कृषि और पंचायत ग्रामीण विकास जैसे वजनदार विभागों के मंंत्री हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें कहा गया है कि भविष्य में संगठन उनके लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेगा। उधर नरोत्तम मिश्रा को सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट के साथ उप मुख्यमंत्री बनाकर संतुष्ट किया जा सकता है।