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शिवराज बोले, हमारी नीति-नीयत साफ, ढ़ाई साल में 104 अफसरों पर की कार्रवाई

locationभोपालPublished: Sep 14, 2022 10:59:52 pm

—————— विधानसभा : शिवराज ने कहा- पोषण आहार पर कांग्रेस भ्रम फैला रही, हमने ठेकेदारी प्रथा समाप्त की—————–

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jitendra.chourasiya@भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पोषण आहार के मामले में विपक्ष भ्रम फैला रहा है, लेकिन हमारी सरकार दोषियों पर सख्त कार्रवाई करती है। पिछले ढाई साल का रिकार्ड उठाकर देख लें, पोषण आहार व्यवस्था से लेकर विभाग की किसी भी योजना के क्रियान्वयन में जिसने भी गड़बड़ी करने की कोशिश की है, सरकार ने उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। अब तक 104 अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। 22 अधिकारियों को निलंबित किया है और 6 को नौकरी से निकाला है। वहीं 3 अधिकारियों की पेंशन और 2 की वेतनवृद्धि रोकी गई है। इसके अलावा 40 की विभागीय जांच चल रही है और 31 अधिकारियों को दांडिक कार्रवाई की गई है। पोषण आहार में महालेखाकार की रिपोर्ट अंतिम नहीं अंतरिम है, इस पर राज्य सरकार अपना पक्ष पूरी मजबूती के साथ रखेगी हर तथ्य हर आंकड़े की सूक्ष्मता से जांच कर सरकार बिन्दुवार अपना कैग को भेजेगी।
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विधानसभा में पोषण आहार पर वक्तव्य देते हुए शिवराज ने कहा कि यदि पूरी जांच में कोई भी गड़बड़ी पाई जाएगी तो कैग की रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना ऐसा करने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। हम लोक लेखा समिति द्वारा कार्यवाही कर दोषियों को दण्डित करने की प्रतीक्षा नहीं करेंगे। मैं यह भी आश्वस्त करना चाहूँगा कि दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही होगी, भले ही गड़बड़ी करने वाला कोई भी हो और गड़बड़ी किसी भी शासनकाल की हो। जो भ्रष्ट आचरण करेगा, सरकार उसे कठोर दण्ड देगी और जो भ्रम फैलाकर जनता को धोखा देने की कोशिश करेंगे, उन्हें जनता दण्डित करेगी। हमारी नीति स्पष्ट है। हमारी नियत साफ है, इसीलिए हमारी सरकार दबाव के आगे न तो झुकेगी और न डरेगी। हम जन कल्याण और सुराज के लिए, मध्यप्रदेश को विकसित और आत्म-निर्भर बनाने के लिए काम करते थे, काम करते हैं और काम करते रहेंगे।
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पोषण नीति बनाने वाला मप्र पहला राज्य-
शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य है, जिसने राज्य की अलग पोषण नीति 2020-2030 जारी की है। पोषण आहार की निगरानी के लिए एक ऑनलाईन निगरानी प्रणाली विकसित कर जुलाई, 2022 से लागू कर दी गई है। कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए हमारी सरकार ने वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन कार्यक्रम प्रारंभ किया। पिछले ढाई वर्ष में दर्ज लगभग 8 लाख बच्चों में से 5 लाख 87 हजार बच्चे (71.63 फीसदी) पोषण के सामान्य स्तर पर आ चुके हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 (2005-06) में मध्यप्रदेश में 60 फीसदी बच्चे कम वजन के पाए गए थे, जबकि हाल ही में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (2020-21) में ये प्रतिशत घटकर 33 प्रतिशत रह गया है। हमने जन-भागीदारी के साथ एडाप्ट एन आंगनवाड़ी अभियान चलाया है। इसमें पौष्टिक आहार के लिए 30 करोड़ रुपए से अधिक का नगद एवं सामग्री के रूप में सहयोग प्राप्त हो चुका है।
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कैग की रिपोर्ट अभी अंतरिम, अंतिम नही-
शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश के महालेखाकार ने वर्ष 2018 से वर्ष 2021 के बीच महिला एवं बाल विकास विभाग के कुछ कार्यालयों का आडिट किया। इस आडिट के आधार पर महालेखाकार ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट विभाग को 12 अगस्त 2022 को भेजी है। इस ड्राफ्ट रिपोर्ट को ही अंतिम निष्कर्ष मानकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इसलिए इस भ्रम को समाप्त करना जरूरी है। सबसे पहले सदन को बताना चाहता हूं कि लोकतंत्र में कार्यपालिका विधायिका के प्रति जवाबदेह होती है। विधायिका जो बजट मंजूर करती है, उसका सही उपयोग हो रहा या नहीं यह जानने के लिए ऑडिट करने एक संस्थागत व्यवस्था बनाई है। इसके तहत हर साल हर विभाग में ऑडिट होता है। ऑडिट टीम विभागों में जाती है, ऑब्जर्वेशन करती है और विभाग को ड्राफ्ट रिपोर्ट देती है। विभाग उसका परीक्षण और सत्यापन करता है। फिर अपना पक्ष कैग को भेजता है। फिर कैग विभाग से संतुष्ट होने वाले बिंदु हटाकर अंतिम रिपोर्ट देता है। इसके बाद यह रिपोर्ट शासन को मिलती हैद्व फिर यह विधानसभा की लोकलेखा समिति के समक्ष रखी जाती है। इस समिति का अध्यक्ष विपक्ष का विधायक होता है। अभी कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा इसके अध्यक्ष हैं। यह समिति कैग रिपोर्ट के बिंदुओं पर विभाग से पूछताछ करती है। जहां गड़बड़ रहती है, वहां दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करती है। यह ऑडिट रिपोर्ट की संपूर्ण प्रक्रिया है। इसे बताने की जरूरत इसलिए पड़ी कि सदन और जनता को यह सच जानना आवश्यक है। जिस रिपोर्ट को कैग रिपोर्ट बताया जा रहा है, वह केवल ड्राफ्ट रिपोर्ट है। इस ड्राफ्ट रिपोर्ट के साथ कवरिंग लेटर में विभाग को लिखा है कि तथ्यों का सत्यापन करें और अपना मत दो सप्ताह के भीतर भेज दें, ताकि महालेखाकार कार्यालय यह परीक्षण कर सके कि वे तथ्य कैग की रिपोर्ट में शामिल किए जाने योग्य है या नहीं। शिवराज ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि विभाग से महालेखाकार कार्यालय द्वारा अभी प्रारंभिक रूप से बिन्दु उठाए हैं। यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि महालेखाकार की यह ड्राफ्ट रिपोर्ट वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक की अवधि की है। यानी रिपोर्ट की अवधि में पिछली सरकार के शासन काल के 15 माह भी सम्मिलित है। लेकिन, भले ही सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन ऑडिट दल के बताए गए सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच हो। इसीलिए विभाग ड्राफ्ट रिपोर्ट में उठाए गए सभी बिंदुओं का गंभीरतापूर्वक परीक्षण कर रहा है। हम सभी बिंदुओं पर महालेखाकार को तथ्यात्मक एवं युक्तियुक्त जवाब देंगे।
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कांग्रेस सच से भागना चाहती है-
शिवराज ने सदन के बाद मीडिया से बातचीत में भी कहा कि विपक्ष ने लोकतंत्र की आवाज को दबाया है। पोषण आहार पर सदन और जनता को सच जानने का हक है, लेकिन विपक्षी विधायकों ने शोरगुल-हंगामा किया। कांग्रेस सच से भागना चाहती है। शिवराज ने सदन में कहा कि पोषण आहार पर ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने बेस लाइन सर्वे नहीं किया। साथ ही विभाग ने स्कूल में पढ़ाई नहीं कर रही किशोरी बालिकाओं की संख्या 36 लाख बताई, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार यह आंकड़ा 9 हजार है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या 5.51 लाख स्वीकार की है। वास्तविकता यह है कि ऑडिटर ने जो 36 लाख का आंकड़ा बताया है, वो मध्यप्रदेश की 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं की कुल संख्या है, न कि शाला त्यागी बालिकाओं की। हमारी सरकार ने 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं का बेस लाइन सर्वे कर रिपोर्ट सितंबर 2018 में भारत सरकार को भेजी थी। रिपोर्ट में किशोरी बालिकाओं की संख्या कुल 2 लाख 52 हजार थी। वर्ष 2018 से वर्ष 2021 की अवधि के लिए हितग्राही बालिकाओं की कुल संख्या 5.51 लाख ही है। हमने मार्च 2018 में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया। एक झटके में पोषण आहार व्यवस्था से निजी कंपनियों को बाहर कर राज्य सरकार ने पोषण आहार की बागडोर प्रदेश के महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपी थी। तब, 7 जिलों धार, सागर, मण्डला, देवास, नर्मदापुरम, रीवा एवं शिवपुरी में 7 पोषण आहार संयंत्रों का निर्माण 60 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया। दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार आई तो एक बार फिर पोषण आहार व्यवस्था में निजी फर्मों की भागीदारी के प्रयास शुरू हुए। कांग्रेस सरकार ने नवम्बर 2019 में निर्णय लिया कि ये संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों से वापस लेकर फिर एमपी एग्रो को दे दिए जाएं। इस निर्णय के परिणामस्वरूप फरवरी, 2020 में एमपी एग्रो ने सभी पोषण आहार संयंत्रों को आधिपत्य में ले लिया। इस प्रकार पोषण आहार व्यवस्था को माफिया मुक्त रखने और स्व-सहायता समूहों को सशक्त करने के हमारे निर्णय को बदल दिया। मार्च 2020 में हमारी सरकार वापस आई तो हमने सितंबर 2021 में ये निर्णय किया कि सभी पोषण आहार संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों के परिसंघों को फिर से सौंप दिए जाए। इस पर हमने सभी 7 संयंत्र नवम्बर 2021 से फरवरी 2022 के बीच राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों को सौंप दिए। इन समूहों को 141 करोड़ रुपए की राशि एडवांस दी गई, ताकि वे व्यवस्थित रूप से इन संयंत्रों का संचालन शुरू कर सकें। अब इन संयंत्रों का टेक होम राशन प्रदाय से लगभग 750 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का टर्न ओवर है। हमारी सरकार ने शहरी क्षेत्रों में भी ठेकेदारी प्रथा से गर्म पका भोजन देने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया। 200 से अधिक ठेकेदारों की जगह यह काम शहरी आजीविका मिशन के 2 हजार से अधिक समूहों को सौंप दिया गया। इन समूहों का कुल टर्न ओवर आज की तारीख में लगभग 60 करोड़ रुपए है।
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84 चालान में 31 कांग्रेस कार्यकाल के-
शिवराज ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण आहार का परिवहन ऐसे वाहनों से किया गया है, जिनके नम्बर किसी कार, स्कूटर या ट्रेक्टर के है या फिर वह नम्बर पोर्टल पर उपलब्ध ही नहीं हैं। ऐसे 84 चालानों का उल्लेख है। इन 84 चालानों में से 31 चालान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से संबंधित है। शिवराज ने कांग्रेस के समय के कुछ उदाहरण भी बताएं। शिवराज ने कहा कि रिपोर्ट में बिजली की खपत को उत्पादन के अनुपात से अधिक बताई गई है। कुल 114 दिनों में धार के 12 दिन और मण्डला में 68 दिन का उल्लेख है। धार के 12 दिन की पूरी अवधि कांग्रेस शासनकाल से संबंधित है। मण्डला के 68 दिन की अवधि में से 15 दिन कांग्रेस शासन काल से संबंधित है। सागर और शिवपुरी संयंत्र में सभी दिन मार्च 2020 के बाद के है। हमें यह समझना होगा कि हर उत्पादन को बनाने पर अलग-अलग बिजली खपत होती है। टेक होम राशन में पोषक तत्व कम बताएं गए हैं। यह अवधि मार्च 2019 से जनवरी 2020 तक कांगे्रस कार्यकाल की है। कांग्रेस कार्यकाल में 237 करोड़ का लगभग 38 हजार 304 मीट्रिक टन खराब गुणवत्ता के बावजूद प्राप्त किया गया। इसके कारण संबंधित एजेन्सी का 35 करोड़ रुपए का भुगतान रोक दिया था।
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गौरी सिंह ने इस्तीफा क्यों दिया था…
शिवराज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब हमने टेक होम राशन महिला स्वसहायता संघ को दिया, तो बाद में कांग्रेस सरकार के आने पर कौन थे जिन्होंने वापस इन पोषण आहार संयंत्रों को एमपी एग्रो के नाम पर फिर ठेकेदारों को सौंपने का षड्यंत्र किया था। आखिर गौरी सिंह ने क्यों इस्तीफा दिया था और इन लोगों ने कैबिनेट का फैसला करके एमपी एग्रो को सौंप भी दिया था। फिर हमारी भाजपा सरकार आई तो पोषण आहार संयंत्रों को वापस महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपा।
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शिवराज बोले- दोषी कोई भी हो सख्त कार्रवाई होगी…
सदन में हंगामे के बीच शिवराज ने वक्तव्य में कहा कि पोषण आहार पर कैग की ड्राफ्ट रिपोर्ट है। यह अंतरिम रिपोर्ट हैं अंतिम रिपोर्ट नहीं है। इस पर विपक्ष भ्रम फैला रहा है। जो बिंदु आए हैं, उसमें कांग्रेस सरकार के भी पंद्रह महीने हैं। फिर भी किसी के समय की भी सरकार हो, पूरे तथ्यों की जांच होगी। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि अगर पूरी जांच में कोई भी गड़बड़ी पाई जाएगी तो कैग की रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना ऐसा करने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। हम लोक लेखा समिति द्वारा कार्यवाही कर दोषियों को दण्डित करने की प्रतीक्षा नहीं करेंगे। मैं यह भी आश्वस्त करना चाहूँगा कि दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही होगी, भले ही गड़बड़ी करने वाला कोई भी हो और गड़बड़ी किसी भी शासनकाल की हो।
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