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शिवराज बोले- जब मैं 46 की उम्र में सीएम बन सकता हूं तो जिला अध्यक्ष 50 से कम का क्यों नहीं

locationभोपालPublished: Oct 23, 2019 10:00:51 am

Submitted by:

Alok pandya

मंडल अध्यक्ष 35 और जिला अध्यक्ष 50 वर्ष से अधिक का नहीं….

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भोपाल। भाजपा केंद्रीय संगठन ने साफ कह दिया है कि मंडल अध्यक्ष 35 और जिला अध्यक्ष 50 वर्ष से अधिक का नहीं होना चाहिए। मंगलवार को संगठन चुनाव की तैयारियों को लेकर बुलाई गई बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब वे 46 साल की उम्र में सीएम बन सकते हैं तो जिला अध्यक्ष 50 से कम का क्यों नहीं हो सकता है।
शिवराज ने कहा, ज्यादा उम्र के नेता बिना पद पर रहे भी अपने अनुभव का लाभ संगठन को दे सकते हैं। गौरतलब है कि भाजपा में जिला अध्यक्ष की उम्र 50 वर्ष से अधिक नहीं होने का नियम तय होने के बाद पार्टी के कई नेताओं से संगठन के सामने अपनी आपत्ति जताई है। नेताओं का कहना है कि कई जिलों में उम्र की बाध्यता के कारण सक्षम और अनुभवी जिला अध्यक्ष नहीं मिल पाएगा।
प्रदेश भाजपा मुख्यालय में भोपाल-होशंगाबाद जिले के पदाधिकारियों की बैठक में उम्र और जाति का मामला जमकर उठा। प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने कहा कि हम मंडल और जिला अध्यक्ष पद के लिए उम्र का प्रमाण पत्र नहीं मांग रहे हैं।
लेकिन इस पद के इच्छुक नेताओं को खुद अपनी उम्र देखकर दावेदारी करना चाहिए। बैठक में कहा गया कि चुनाव से पहले मंडल के सभी बड़े नेताओं को एक साथ बैठाकर सर्व सम्मति से नाम तय करने का काम किया जाए। कहीं पर भी नेताओं के बीच अपने समर्थकों को पद दिलाने के लिए टकराव की स्थिति नहीं बनना चाहिए।
सुहास भगत ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए सभी समाजों और जातियों ने चुनाव लड़ा था, यही बात संगठन के चुनाव में भी प्रतिङ्क्षबबित होना चाहिए। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तेरा-मेरा का भाव अगर रखा गया तो फिर सही टीम बनकर नहीं आएगी, बड़े नेताओं को इस बात को समझना जरूरी है।

मंडल में ही न करें घोषणा-
प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने कहा कि मंडल के सभी बड़े नेता मिलकर अध्यक्ष पद के लिए सर्वानुमति बनाने का प्रयास करें। यह जरूर देखें कि चुनाव की नौबत न आए। मंडल अध्यक्ष का नाम तय होने के बाद उसकी घोषणा मंडल में न करें।
प्रस्तावित नाम जिला निर्वाचन अधिकारी को लाकर दें और जिले के सभी मंडलों के अध्यक्षों की घोषणा एक साथ की जाए। इसमें यह जरूर देखा जाए कि जिले में हर जाति और समाज को प्रतिनिधित्व मिल सके। इस बात का खास ध्यान रखा जाए कि एक ही जाति-समाज के लोग ज्यादा न हो जाएं।
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