वहीं चर्चा है कि हर पार्टी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिशों के बीच दूसरे को हराने के लिए नई नई रणनीतियां बना रहीं हैं। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर भी प्रदेश में कई तरह की अटकलें लगाईं जा रहीं हैं।
दरअसल विधानसभा चुनावों के ठीक बाद से ही यानि लोकसभा चुनाव का शंखनाद होने से पहले ही प्रदेश में चुनावी शोरगुल शुरू हो गया है।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव में पिछड़ने के बाद भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जीत के लिए विधानसभा चुनाव के दौरान बनाई गई लोकसभा चुनाव अभियान समिति को फिर एक्टिव कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार पार्टी विधानसभा चुनाव के दौरान 29 में से 12 लोकसभा सीटों पर पिछड़ती दिख रही है। जिससे निपटने के लिए पार्टी इन सीटों पर मकर संक्रांति के बाद कमर कसने जा रही है।
चर्चा है कि पार्टी आलाकमान का मानना है कि विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद विदिशा, खजुराहो, रतलाम, देवास, गुना, छिंदवाड़ा समेत 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर नए सिरे से संगठन में चर्चा की जरूरत है।
यहां से लड़ सकते हैं शिवराज…
वहीं चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनके चुनावी क्षेत्र को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है।
सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री और विदिशा से सांसद सुषमा स्वराज के चुनावी जंग में उतरने से मना करने के बाद माना जा रहा है कि पार्टी यहां से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उम्मीदवार बना सकती है। वहीं दूसरी ओर उनके छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने की भी अटकलें तेज हैं।
इधर, भोपाल सीट पर भी बदलाव की खबरें आ रही हैं पार्टी यहां से किसी बाहरी को खड़ा कर सकती है। इस संबंध में भी सूत्रों का कहना है कि भोपाल सीट से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी अपनी दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि सहमति नहीं बनने पर उमाशंकर गुप्ता को चेहरा बनाया जा सकता है। वैसे अभी भोपाल से आलोक संजर सांसद हैं।
ये है भाजपा की नई रणनीति…
सामने आ रही सूचना के अनुसार इस बार पार्टी अपनी रणनीति बदलते हुए कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांतिलाल भूरिया की सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतारने जा रही है।
वहीं पार्टी संगठन प्रभात झा और थावरचंद गहलोत की भूमिका को लेकर मंथन कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय राजनीति में जाने से इंकार किया था मगर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की राय इससे अलग है।
ऐसे में अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को बयान देते हुए कहा है कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी पार्टी ने दी है, वह उसे पूरी इमानदारी और निष्ठा से पूरा करेंगे।
वहीं मध्यप्रदेश में सक्रिय राजनीति में बने रहने पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश देश का हिस्सा है और वह लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के लिए काम करेंगे। जबकि इस दौरान वह कैलाश विजयवर्गी के सरकार पलटने वाले बयान से बचते नजर आए।
जीत का फॉर्मूला…
जिन लोकसभा सीटों पर भाजपा पिछड़ती दिख रही है, उन ग्यारह सीटों में गुना, सागर, खजुराहो, रीवा, सीधी, छिंदवाड़ा, विदिशा, भोपाल, राजगढ़, देवास और रतलाम शामिल हैं।
वहीं इस बार पार्टी के लिए रीवा से जनार्दन मिश्रा और सीधी सीट से रीति पाठक पहली सांसद बने हैं। वहीं इस बार इन दोनों सीटों पर कांग्रेस की ओर से दमदार चेहरे अजय सिंह, पुष्पराज सिंह, सुंदरलाल तिवारी के लड़ने की चर्चा है।
वर्ष : भाजपा-: (वोट %) : कांग्रेस -: (वोट %) : बसपा
2014 : 27 सीट-: 54.02% : 02 सीट -: 34.89% : —
2009 : 16 सीट-: 43.45% : 12 सीट,-: 40.14% : 1 सीट
विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने भाजपा ने खजुराहो सीट से सांसद नागेंद्र सिंह और देवास सीट से सांसद मनोहर ऊंटवाल को चुनाव मैदान में उतारा था। दोनों ही नेताओं ने जीत हासिल की थी।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की सरकार बसपा के समर्थन से चल रही है, भविष्य में अगर परिस्थितियां बदली और यह अल्पमत में आ गई तो नंबर गेम अहम हो जाएगा। लिहाजा पार्टी इस बार किसी भी विधायक को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारने वाली है।
वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि इस बार 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रत्याशियों की भारी उल्टफेर हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक शिवराज विदिशा से या छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं इनके सामने कांग्रेस से नकुलनाथ के मैदान में आने की संभावना है।