mp.patrika.com महाशिवरात्रि के मौके पर बताने जा रहा है शिवजी के ऐसे स्थान, जहां की यात्रा अमरनाथ यात्रा से कम नहीं है…। जिंदगी और मौत का अनोखा तालमेल
यह यात्रा इतनी दुर्गम है कि एक तरफ जिंदगी और एक तरफ मौत हमेशा साथ चलती रहती है। दस दिनों के बाद इस इलाके में खतरनाक जहरीले सांप और जंगली जानवर ही रहते हैं। यहां कोई इंसान जाने की हिम्मत नहीं कर पाता। यह स्थान भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित है।
यह यात्रा इतनी दुर्गम है कि एक तरफ जिंदगी और एक तरफ मौत हमेशा साथ चलती रहती है। दस दिनों के बाद इस इलाके में खतरनाक जहरीले सांप और जंगली जानवर ही रहते हैं। यहां कोई इंसान जाने की हिम्मत नहीं कर पाता। यह स्थान भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित है।
महाराष्ट्रीयन के कुलदेव
दुनियाभर में प्रसिद्ध पचमढ़ी में नागलोक श्रद्धा का अनूठा स्थल है। यह महाराष्ट्र से आने वाले कई लोगों के कुलदेव का स्थान है। पचमढ़ी के घने जंगल और दुर्गम पहाड़ों के बीच एक गुफा में है यह मंदिर। यह मंदिर 18 जुलाई से 28 जुलाई के बीच ही खुलता है।
दुनियाभर में प्रसिद्ध पचमढ़ी में नागलोक श्रद्धा का अनूठा स्थल है। यह महाराष्ट्र से आने वाले कई लोगों के कुलदेव का स्थान है। पचमढ़ी के घने जंगल और दुर्गम पहाड़ों के बीच एक गुफा में है यह मंदिर। यह मंदिर 18 जुलाई से 28 जुलाई के बीच ही खुलता है।
कदम कदम पर जहरीले जीव
पूरे सालभर इस स्थान पर कोई इंसान नहीं आता। ऐसे में सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जीव इस क्षेत्र में बहुतायात में रहते हैं। जब इस नागलोक के लिए यात्रा शुरू होती है तो कदम-कदम पर सांप-बिच्छुओं से सामना होता रहता है।
रोमांच से भरपूर होती है यह यात्रा
साल में एक बार होने वाली यह यात्रा इतनी रोमांचक होती है कि ट्रैकिंग के शौकीन व्यक्ति भी इस यात्रा को करने पहुंच जाते है। इस रास्ते में कई बड़े-बड़े प्राकृतिक झरने नजर आते हैं। वहीं कई जड़ीबूटियों के पेड़-पौधे भी जानकारों को आकर्षित करते हैं। यह रास्ते इतने दुर्गम है कि हर पल डर बना रहता है कि कभी कदम डगमगाए तो सीधे गहरी खाई में समा सकते हैं। गिरते पानी में फिसलन भरी ढलान में यह खतरा और बढ़ जाता है। कभी बड़ी-बड़ी चट्टानों से गुजरना होता है। कई बार तो बहते पानी को भी पार करना किसी रोमांच से कम नहीं होता है।
साल में एक बार होने वाली यह यात्रा इतनी रोमांचक होती है कि ट्रैकिंग के शौकीन व्यक्ति भी इस यात्रा को करने पहुंच जाते है। इस रास्ते में कई बड़े-बड़े प्राकृतिक झरने नजर आते हैं। वहीं कई जड़ीबूटियों के पेड़-पौधे भी जानकारों को आकर्षित करते हैं। यह रास्ते इतने दुर्गम है कि हर पल डर बना रहता है कि कभी कदम डगमगाए तो सीधे गहरी खाई में समा सकते हैं। गिरते पानी में फिसलन भरी ढलान में यह खतरा और बढ़ जाता है। कभी बड़ी-बड़ी चट्टानों से गुजरना होता है। कई बार तो बहते पानी को भी पार करना किसी रोमांच से कम नहीं होता है।
दस दिनों में पहुंच जाते हैं 10 लाख लोग
साल में मात्र दस दिन खुलने वाले नागलोक में करीब 10 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। करीब 12 किलोमीटर की यह यात्रा में बीस घंटे से अधिक का समय लगता है।
अमरनाथ यात्रा जैसा दिखता है नजारा
नागद्वारी यात्रा के रास्तों पर अमरनाथ यात्रा का अहसास होता है। यहां के पहाड़ और गुफा का दृश्य देखकर ऐसा लगता है जैसे आप अमरनाथ यात्रा कर रहे हैं। यात्रा में कदम-कदम पर खतरा बना रहता है। लेकिन यह यात्रा कितने ही खतरों के बाद पूरी की जाती है। प्राकृतिक सौंदर्य यहां का अद्भुत है।