अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. एके चौरसिया और डॉ. रजनीश गौर ने बताया की गंजबासौदा निवासी नीलू के एक पैर में करीब साल भर से कमजोरी आने लगी थी। जिसके तुरंत बाद ही परिजनों ने उसे अस्पताल लाया और जांच करवाई। डॉक्टरों ने इलाज करने के बाद न्यूरो सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया। जहां उसका एमआरआई स्कैन करवाने के बाद पता लगा की 4 सेमी लंबी रीढ़ की हड्डी में गांठ ) लाइपोमा) पाया गया है।
किशोरी को जन्म से ही था लाइपोमा
डॉक्टरों के मुताबिक रीढ़ की हड्डी में गांठ (लाइपोमा) का केस पहली बार अस्पताल में सामने आया है। गांठ (लाइपोमा) किशोरी को जन्म से ही थी, सर्जरी के अलावा इसका कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने बताया कि गांठ की साइज भी बढ़ रही थी। अगर मरीज की सर्जरी नहीं की जाती तो तकलीफ और बढ़ती, जो की दूसरे अंगों मे नुकसान करती। बता दें की गांठ की यह बीमारी बच्चोें से लेकर बडो तक में हो सकती है। (लाइपोमा) एक अनूठा केस है जिसमे शरीर के अंगो में कमजोरी हाेनी लगती हे।
नि:शुल्क सर्जरी की गई
डॉक्टरों ने बताया कि हमीदिया अस्पताल में नि:शुल्क सर्जरी की गई है। निजी अस्पतालों में इस ऑपरेशन का खर्च करीब दो लाख रुपए या इससे ज्यादा हो सकता था। न्यूरो सर्जन डॉ.एके चौरसिया ने बताया की सर्जरी में करीब 4 घंटे लगे, साथ ही डॉक्टर ने कहा की मरीज को बिना देरी किेए डॉक्टरों को दिखा लेना चाहूीए। सर्जरी में रिस्क भी कम रहता है।