दरअसल इसका जो कारण बताया जा रहा है कि उसके अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पेट्रोल पंप डीलर्स को डीजल एवं पेट्रोल की मांग के अनुसार सप्लाई नहीं दे रही हैं। इससे राजधानी सहित पूरे प्रदेश में सोमवार से पेट्रोल-डीजल की किल्लत बढ़ सकती है। माना जा रहा है कि ये किल्लत सोमवार से शुरु हो सकती है।
इस संबंध में पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश ने मुख्य सचिव को हस्तक्षेप कर उचित कार्यवाही करने की मांग की है। जिससे वर्तमान में निर्वाचन कार्य और किसानों को पेट्रोल-डीजल की किल्लत का सामना न करना पड़े।
एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि अभी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू है। इसलिए सभी जिलों में जिला प्रशासन द्वारा पेट्रोल पंप संचालकों को एक निर्धारित मात्रा में पेट्रोल एवं डीजल का स्टॉक सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ प्रदेश में वर्तमान में धान और सोयाबीन की बोवनी का कार्य भी चल रहा है इससे ग्रामीण क्षेत्रों में डीजल की खपत 3 से 4 गुना तक बढ़ गई है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम द्वारा पेट्रोल पंप डीलरों को मांग के अनुसार पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति नहीं की जा रही है। यह स्थिति तब है जब पेट्रोल पंप डीलर्स द्वारा पेट्रोल एवं डीजल की सप्लाई के लिए पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया है। उसके बावजूद कंपनी द्वारा सप्लाई नहीं दी जा रही है।
तर्क यह दिया जा रहा है कि कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है जिसकी वजह से सप्लाई देने में कंपनी असमर्थ है। सिंह ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का यदि यही रवैया रहा तो पेट्रोल-डीजल की सप्लाई बाधित हो सकती है। इसलिए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। सप्लाई बाधित होने से आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।