इससे पहले अभी चल रहे चतुर्मास के तहत विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य वैसे ही रूके हुए थे, वहीं अभी विवाह पर श्राद्ध पक्ष में भी रोक जारी रहेगी। वहीं अब विवाह देवउठनी एकादशी यानि 8 नवंबर, 2019 ( शुक्रवार ) से शुरू होंगें।
पितरों को समर्पित अश्विन मास की भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन माह की अमावस्या तक इसे मनाया जाता है। 16 दिनों के लिए पितृ घर में विराजमान होते है जोकि हमारे वंश का कल्याण करते है। इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरु हो चुके हैं जो कि 28 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होंगे।
MUST READ : श्राद्ध पक्ष – आपको भी सपने में दिख रहे हैं अपने पूर्वज, तो जानिये क्या कहना चाहते हैं वे आपसे! वहीं पितृ पक्ष ( Pitru Paksha 2019 ) में पितरों की तृप्ति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध कर्म ( Shraddha karm ) के दौरान इन 16 दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, उपनयन संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने गए हैं।
यहां तक की श्राद्ध पक्ष में नई वस्तुओं की खरीद भी वर्जित है। अत: माना जाता है कि इन 16 दिनों में आपको नया मकान, वाहन आदि का क्रय नहीं करना चहिए। वहीं खास बात ये भी है कि ये पितृ पक्ष चातुर्मास के अंतर्गत आते हैं।
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पंडित सुनील शर्मा केे अनुसार श्राद्धपक्ष का संबंध मृत्यु से है इस कारण यह अशुभ काल माना जाता है। जैसे अपने परिजन की मृत्यु के पश्चात हम शोकाकुल अवधि में रहते हैं और अपने अन्य शुभ, नियमित, मंगल, व्यावसायिक कार्यों को विराम दे देते हैं, वही भाव पितृपक्ष में भी जुड़ा है।
पंडित सुनील शर्मा केे अनुसार श्राद्धपक्ष का संबंध मृत्यु से है इस कारण यह अशुभ काल माना जाता है। जैसे अपने परिजन की मृत्यु के पश्चात हम शोकाकुल अवधि में रहते हैं और अपने अन्य शुभ, नियमित, मंगल, व्यावसायिक कार्यों को विराम दे देते हैं, वही भाव पितृपक्ष में भी जुड़ा है।
पूरे चार माह बंद रहते हैं विवाह…
हिन्दू पंचांग के अनुसार चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तक चलती है। MUST READ : प्रेम विवाह में समस्या या वर-वधु मिलने तक में हो रही हो देरी, हर किसी के लिए अपना अलग उपाय
हिन्दू पंचांग के अनुसार चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तक चलती है। MUST READ : प्रेम विवाह में समस्या या वर-वधु मिलने तक में हो रही हो देरी, हर किसी के लिए अपना अलग उपाय
हिन्दू धर्म में ये 4 महीने भक्ति, ध्यान, जप, तप और शुभ कर्मों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हालांकि इन 4 महीनों के दौरान विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। दरअसल देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं, इसलिए इस अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश समेत अन्य शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं।
वहीं कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु निंद्रा से जागते हैं, उसके बाद विवाह कार्य शुरू होते हैं। और इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर, 2019(शुक्रवार) को है। अब चतुर्मास व पितृ पक्ष के बाद ये हैं इस साल यानि 2019 के विवाह मुहूर्त :
दिनांक | दिन | तिथि | नक्षत्र | विवाह मुहूर्त की अवधि |
8 नवंबर | शुक्रवार | एकादशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 12:24- 30:39 बजे तक |
9 नवंबर | शनिवार | द्वादशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 06:39 – 10:14, 11:26 – 14:55 बजे तक |
रेवती नक्षत्र में | 14:55 – 30:40 बजे तक | |||
10 नवंबर | रविवार | त्रयोदशी | रेवती नक्षत्र में | 06:40 – 16:30 बजे तक |
अश्विनी नक्षत्र में | 18:06 – 30:41 बजे तक | |||
11 नवंबर | सोमवार | चतुर्दशी | अश्विनी नक्षत्र में | 06:41 – 10:48 बजे तक |
13 नवंबर | बुधवार | प्रतिपदा | रोहिणी नक्षत्र में | 22:00 – 30:43 बजे तक |
14 नवंबर | गुरुवार | द्वितीया | रोहिणी नक्षत्र में | 06: 43 – 25:11 बजे तक |
19 नवंबर | मंगलवार | सप्तमी | मघा नक्षत्र में | 22:10 – 30:48 बजे तक |
20 नवंबर | बुधवार | अष्टमी | मघा नक्षत्र में | 06:48 – 19:17 बजे तक |
21 नवंबर | गुरुवार | नवमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 18:29 – 22:17 बजे तक |
22 नवंबर | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 09:01 – 16:41 बजे तक |
हस्त नक्षत्र में | 16:41 – 30:50 बजे तक | |||
23 नवंबर | शनिवार | द्वादशी | हस्त नक्षत्र में | 06:50 – 14:44 बजे तक |
चित्रा नक्षत्र में | 14:44 – 27:43 बजे तक | |||
28 नवंबर | गुरुवार | द्वितीया | मूल नक्षत्र में | 08:22 – 16:18, 18:18 – 30:55 बजे तक |
29 नवंबर | शुक्रवार | तृतीया | मूल नक्षत्र में | 06:55 – 07:33 बजे तक |
30 नवंबर | शनिवार | चतुर्थी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 18:05 – 23:14 बजे तक |
1 दिसंबर | रविवार | पंचमी | श्रवण नक्षत्र में | 11:29 – 30:57 बजे तक |
2 दिसंबर | सोमवार | षष्ठी | श्रवण नक्षत्र में | 06: 57 – 11:43 बजे तक |
धनिष्ठा नक्षत्र में | 11:43 – 13:37, 17:13 – 30:58 बजे तक | |||
3 दिसंबर | मंगलवार | सप्तमी | धनिष्ठा नक्षत्र में | 06:58 – 14:16 बजे तक |
7 दिसंबर | शनिवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र में | 17:03 – 19:35 बजे तक |
8 दिसंबर | रविवार | एकादशी | अश्विनी नक्षत्र में | 08:29 – 17:15 बजे तक |
10 दिसंबर | मंगलवार | त्रयोदशी | रोहिणी नक्षत्र में | 29:57 – 31:04 बजे तक |
11 दिसंबर | बुधवार | चतुर्दशी | रोहिणी नक्षत्र में | 07:04 – 10:59, 22:54 – 31:04 बजे तक |
12 दिसंबर | गुरुवार | पूर्णिमा | मृगशिरा नक्षत्र में | 07:04 – 30:18 बजे तक |