देश के जाने माने कवि अरुण जैमनी, संपत सरल, पवन जैन, सुदीप भोपाल, चिराग जैन, रुचि चतुर्वेदी और शबनम अली ने मुनि के पास पहुंचकर उनके दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। मुनिश्री ने आशीर्वाद के रूप में अपनी सबसे लोकप्रिय पुस्तक जैन धर्म और दर्शन मुनियों को भेंट की। इस अवसर पर कवियों ने मुनिश्री से अपनी शंकाओं का समाधान भी किया।
भागवत कथा: जो नि:स्वार्थ भाव से समाज का कल्याण करे वहीं सच्चा संत
भोपाल। विश्व राधा कृष्ण योग प्रचार समिति की ओर से छोला दशहरा मैदान में भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दूसरे दिन पं. ओमप्रकाश शास्त्री ने अनेक प्रसंगों पर प्रकाश डाला, और सत्संग और संत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भगवान जब किसी को दंड देते है तो उसके चित्त और दिमाग का हरण कर लेते हैं। जब कोई व्यक्ति क्रोध करें तो उसे क्षमा कर देना चाहिए, किसी को क्षमा करना ही सत्संग का प्रभाव हैं। संत महिमा के बारे में बताते हुए कहा कि संत की कोई जाति नहीं होती, कोई धर्म नहीं होता, जो व्यक्ति जीवन पर्यंत समाज की भलाई और कल्याण के कार्य निस्वार्थ भाव से करता है वही सच्चा संत है। आडंबर ओढ़ लेने वाला व्यक्ति संत नहीं होता। संत तो वह है जो दूसरे को दुख को देखकर अपना दुख समझे और उसका गमन कर दे। कलयुग में व्यक्ति बिना स्वार्थ के कोई भी कार्य नहीं करता, यही दुख का कारण है। जब व्यक्ति बिना स्वार्थ के समाज हित के कार्य करने लगेगा राष्ट्र व समाज उन्नात होगा । इस मौके पर उन्होंने परीक्षित शराब, कपिल जन्म की कथा का वर्णन किया।