कमलनाथ राष्ट्रीय कांग्रेस में जाएंगे या प्रदेश राजनीति की धुरी बने रहेंगे इस पर राजनेताओं के बीच चर्चा बेहद गर्म हो गई है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश कांग्रेस के सारे समीकरण ही बदल जाएंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और मोतीलाल बोरा के निधन के बाद पार्टी में सीनियर नेताओं की कमी महसूस हो रही है। ऐसे में कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं।
इंदिरा के तीसरे बेटे
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ को गांधी परिवार को काफी करीबी माना जाता है। कमलनाथ के सिर्फ वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी के ही नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी के भी काफी करीबी रहे हैं। इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा में आयोजित एक चुनावी सभा में कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहा था।
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ को गांधी परिवार को काफी करीबी माना जाता है। कमलनाथ के सिर्फ वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी के ही नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी के भी काफी करीबी रहे हैं। इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा में आयोजित एक चुनावी सभा में कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहा था।
कमलनाथ ने की थी आराम करने की बात
हाल ही में छिंदवाड़ा में एक सभा के दौरान अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि अब वह आराम करना चाहते हैं। छिंदवाड़ा की जनता यदि चाहेगी तो वह संन्यास ले लेंगे। कमलनाथ ने कहा था कि उन्हें पद की लालसा नहीं है और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में बहुत कुछ हासिल किया है।
हाल ही में छिंदवाड़ा में एक सभा के दौरान अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि अब वह आराम करना चाहते हैं। छिंदवाड़ा की जनता यदि चाहेगी तो वह संन्यास ले लेंगे। कमलनाथ ने कहा था कि उन्हें पद की लालसा नहीं है और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में बहुत कुछ हासिल किया है।
दिल्ली से बुलावा क्यों?
अहमद पटेल एकमात्र कांग्रेसी नेता थे, जो गांधी परिवार के तीनों सदस्यों पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी हैं। 2018 के बाद से सोनिया के राजनैतिक सचिव और पार्टी के कोषाध्यक्ष थे। वे हर वक्त पार्टी के सबसे बड़े संकटमोचन थे और उन्होंने कांग्रेस नेताओं की कई पीढिय़ों को दिशा दी है। इसी श्रेणी के नेता कमलनाथ भी हैं। अहमद पटेल के निधन के बाद अब कमलनाथ इन पदों के प्रबल दावेदार हैं।
अहमद पटेल एकमात्र कांग्रेसी नेता थे, जो गांधी परिवार के तीनों सदस्यों पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी हैं। 2018 के बाद से सोनिया के राजनैतिक सचिव और पार्टी के कोषाध्यक्ष थे। वे हर वक्त पार्टी के सबसे बड़े संकटमोचन थे और उन्होंने कांग्रेस नेताओं की कई पीढिय़ों को दिशा दी है। इसी श्रेणी के नेता कमलनाथ भी हैं। अहमद पटेल के निधन के बाद अब कमलनाथ इन पदों के प्रबल दावेदार हैं।
क्या युवाओं को मिलेगा मौका
मध्यप्रदेश कांग्रेस में युवा नेताओं की लंबी फौज है। लेकिन ज्यादातर नेता अभी सीमित क्षेत्र तक ही अपनी पहुंच बना पाए हैं। युवाओं की लिस्ट में सबसे पहले जयवर्धन सिंह का नाम है। जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से दूसरी बार विधायक हैं तो वहीं, कमलनाथ की सरकार में मंत्री भी रह चुके है। जीतू पटवारी, सचिन यादव, सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन भी इसी रेस में शामिल हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस में युवा नेताओं की लंबी फौज है। लेकिन ज्यादातर नेता अभी सीमित क्षेत्र तक ही अपनी पहुंच बना पाए हैं। युवाओं की लिस्ट में सबसे पहले जयवर्धन सिंह का नाम है। जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से दूसरी बार विधायक हैं तो वहीं, कमलनाथ की सरकार में मंत्री भी रह चुके है। जीतू पटवारी, सचिन यादव, सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन भी इसी रेस में शामिल हैं।
ये नेता भी रेस में?
मध्यप्रदेश में नंबर दो की कुर्सी की लड़ाई में जयवर्धन सिंह और नकुलनाथ के अलावा भी कई नेता हैं। फिलहाल जो नेता सबसे ज्यादा एक्टिव और सीनियर हैं वो हैं जीतू पटवारी। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जीतू पटवारी में भी गंभीरता की कमी देखने को मिलती है। कई बार उनके बयान उनकी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं।
मध्यप्रदेश में नंबर दो की कुर्सी की लड़ाई में जयवर्धन सिंह और नकुलनाथ के अलावा भी कई नेता हैं। फिलहाल जो नेता सबसे ज्यादा एक्टिव और सीनियर हैं वो हैं जीतू पटवारी। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जीतू पटवारी में भी गंभीरता की कमी देखने को मिलती है। कई बार उनके बयान उनकी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं।
क्या महिला नेत्री को मिलेगी कमान ?
तमाम चर्चाओं के बीच एक सवाल ये भी खड़ा होता दिख रहा है कि क्या किसी महिला को प्रदेश कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा सकता है। फैसला कठिन है लेकिन इसके कई फायदे भी कांग्रेस को हो सकते हैं। फायदे क्या होंगे इसके बारे में बात करेंगे लेकिन पहले उन महिला चेहरों की चर्चा करते हैं जिनके नामों की चर्चा सियासी गलियारों में चल रही है। ऐसे में मीनाक्षी नटराजन, शोभा ओझा और विजयलक्ष्मी साधौ का नाम भी रेस में है।
तमाम चर्चाओं के बीच एक सवाल ये भी खड़ा होता दिख रहा है कि क्या किसी महिला को प्रदेश कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा सकता है। फैसला कठिन है लेकिन इसके कई फायदे भी कांग्रेस को हो सकते हैं। फायदे क्या होंगे इसके बारे में बात करेंगे लेकिन पहले उन महिला चेहरों की चर्चा करते हैं जिनके नामों की चर्चा सियासी गलियारों में चल रही है। ऐसे में मीनाक्षी नटराजन, शोभा ओझा और विजयलक्ष्मी साधौ का नाम भी रेस में है।