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हमीदिया अस्पताल में नई स्लीप लैब एक महीने में होगी शुरू

locationभोपालPublished: Mar 12, 2019 07:15:03 am

गांधी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने शुरू की तैयारी…

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Hamidia

भोपाल. गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में खर्राटे आने व नींद न आने की बीमारी की जांच होगी। इसके लिए मेडिसिन विभाग में नई स्लीप लैब बनाई जा रही है। लैब में बीमारियों की जांच के लिए मशीनें खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उम्मीद है कि महीने भर में लैब शुरू हो जाएगी।
इसके पहले पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में स्लीप लैब बनाई गई थी। यहां हर महीने करीब 10 मरीजों की जांच की जा रही थी। कंप्यूटर में खराबी के चलते करीब एक साल से जांच नहीं हो पा रही है। हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि स्लीप लैब में नींद नहीं आना, खर्राटे व ऑक्सीजन के स्तर की जांच की जाती है। इसी तरह से खर्राटे आना भी कई बार गंभीर बीमारियों के संकेत देता है। स्लीप लैब में एक रात मरीज को रोककर पूरी जांच की जाती है, इसके बाद उसका उपचार किया जाता है…
इधर, चम्मच से दूध पिलाने के दौरान श्वास नली में दूध फंसने से हुई मासूम की मौत

दो दिन पहले कोलार क्षेत्र में दो माह के मासूम की मौत गले में दूध या कुछ अन्य तत्व फंसने से हुई थी । यह खुलासा सोमवार को आई शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में हुआ। हालांकि बच्चे का विसरा जांच के लिए सागर भेजा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे के गले में दूध फंसने के कारण उसे कार्डियक अरेस्ट हो गया और बच्चे की मौत हो गई।
उल्लेखनीय है कि कोलार में राजहर्ष कालोनी निवासी हीरालाल चौहान अपने शनिवार को उनके डेढ़ माह के बच्चे को लेकर टीका लगवाने जेपी अस्पताल उनकी पत्नी सहित पहुंचे थे। जहां बच्चे को पोलियो की दवा के साथ ही रोटा वायरस और पेंटावैलेंट का टीका भी लगाया गया।
इसके साथ ही अस्पताल कर्मचारियों ने परिजनों को पैरासीटामॉल टेबलेट दी। उनसे कहा गया कि अगर बुखार आए तो एक चौथाई गोली पीस कर बच्चे को खिला दें। रात में बच्चे को बुखार आने पर परिवार जनों ने उसे पैरासीटामॉल की टेबलेट पीस कर दूध के साथ खिलाई। इसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई और रात में ही बच्चे की मौत हो गई।
हमेशा की दूसरों की मदद, अब जीवन के बाद भी करेंगी समाज की मदद-

वहीं दूसरी ओर ताउम्र लोगों की सेवा का संकल्प रखने वाली 69 वर्षीय सुभद्रा गुर्जर ने मृत्यु के बाद भी अपने संकल्प को पूरा किया। उन्होंने ना केवल अपनी देह समाज के नाम की वहीं आंखों से दो लोगों के जीवन में नई रोशनी दी।
परिवार के मनीष गुप्ता ने बताया कि सुभद्रा जी हमेशा से ही लोगों की मदद के लिए आगे रहती थीं। वो हमेशा कहती थीं कि जीवन का दूसरा अर्थ सेवा ही है। यही कारण है कि वे हमेशा से देहदान के पक्ष में रही हैं। उन्होंने बताया कि उनकी इच्छा के अनुसार उनकी मृत्यु के बाद उनकी देह एम्स को दान की। वहीं आंखें हमीदिया अस्पताल को दान दी गईं हैं।
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