शहर के 19 जोन के एएचओ से वार्ड वार ब्यौरा भेजने कहा गया था, बावजूद तिमाही रिपोर्ट समय पर नहीं बनी। प्रदेश में ये रिपोर्ट 51 जिलों सहित 230 छोटे शहरों से आनी है। इस पर पहले प्रदेश और बाद में केंद्र सरकार की टीम मौके पर जाकर सत्यापन करेगी और तिमाही स्टार रेटिंग सर्टिफिकेट जारी करेगी। मोदी सरकार का चौथा स्वच्छ सर्वेक्षण परिणाम फरवरी 2019 में आएगा।
भोपाल की जमीनी हकीकत, हर काम में पीछे
डोर टू डोर कचरा- कचरा संग्रहण करने बीएमसी के एक हजार हॉकर्स हाथ ठेला लेकर 85 में से आधे वार्डों में ही प्रतिदिन पहुंच पाते हैं।
मौके पर बंटवारा- वेस्ट कलेक्शन साइट पर गीले, सूखे, ई-वेस्ट, मेडिकल वेस्ट का बंटवारा। शहर में गीला-सूखा और मेडिकल वेस्ट सेग्रीगेशन नहीं हो पा रहा है।
दो बार झाडू लगाना- बाजार, गार्डन, रास्तों, सरकारी परिसरों के बाहर दिन में दो बार झाडू लगाना। शहर में ये व्यवस्था चुनिंदा स्थानों पर एक बार तक सीमित है।
नीला-हरा डस्टबिन- बाजार, दफ्तर, स्कूल, कॉलोनियों से 50 से 100 मीटर की दूरी पर नीला-हरा जुड़वा डस्टबिन रखना अनिवार्य। शहर में इनकी संख्या 1200 है।
ठोस प्रबंधन- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आदमपुर में एस्सेल गु्रप का प्लांट 2019 के अंत तक चालू करने की योजना है। पिछले तीन सर्वे से भोपाल को इस श्रेणी में अंक नहीं मिल रहे हैं।
प्लास्टिक प्रतिबंध- प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लग पाया है। बोतल क्रश करने की तीन मशीनें ही स्थापित हुई हैं।
वैज्ञानिक लेंडफिल- भानपुर की पुरानी खंती को वैज्ञानिक तरीके से बंद करने का काम जारी है। आदमपुर में इस साल काम शुरू नहीं हो सकेगा।
डंप साइट का उपचार- शहर में ऐसे 12 घोषित कचरा स्टेशन हैं, जहां से आदमपुर ले जाने कचरा उठता है। इन साइट की जमीनों के वैज्ञानिक उपचार के लिए अभी कोई प्रबंध नहीं है। खाद बनाने वाले सेंटर बंद हैं।
नागरिक शिकायत तंत्र- बीएमसी कॉल सेंटर नंबर 18002330014 संचालित है। यहां से शिकायतें एएचओ को भेजी जाती है। 48 घंटे के अंदर रिस्पांस का दावा है।
नालों का चैनलाइजेशन- बरसाती पानी के भराव को रोकने शहर के नाले-नालियों का चैनलाइजेशन। शहर में अमृत प्रोजेक्ट के तहत ये काम जारी है।
तीन आर प्रणाली- कचरा प्रबंधन के लिए रिड्यूज, रियूज और रिसाइकल प्रणाली फिलहाल शुरू नहीं हो सकी है।
सौंदर्यीकरण- सार्वजनिक स्थलों की दिवालों पर चित्र बनवाने के साथ सडक़ों के दोनों ओर ग्रीनरी विकसित करना।
डोर टू डोर कचरा- कचरा संग्रहण करने बीएमसी के एक हजार हॉकर्स हाथ ठेला लेकर 85 में से आधे वार्डों में ही प्रतिदिन पहुंच पाते हैं।
मौके पर बंटवारा- वेस्ट कलेक्शन साइट पर गीले, सूखे, ई-वेस्ट, मेडिकल वेस्ट का बंटवारा। शहर में गीला-सूखा और मेडिकल वेस्ट सेग्रीगेशन नहीं हो पा रहा है।
दो बार झाडू लगाना- बाजार, गार्डन, रास्तों, सरकारी परिसरों के बाहर दिन में दो बार झाडू लगाना। शहर में ये व्यवस्था चुनिंदा स्थानों पर एक बार तक सीमित है।
नीला-हरा डस्टबिन- बाजार, दफ्तर, स्कूल, कॉलोनियों से 50 से 100 मीटर की दूरी पर नीला-हरा जुड़वा डस्टबिन रखना अनिवार्य। शहर में इनकी संख्या 1200 है।
ठोस प्रबंधन- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आदमपुर में एस्सेल गु्रप का प्लांट 2019 के अंत तक चालू करने की योजना है। पिछले तीन सर्वे से भोपाल को इस श्रेणी में अंक नहीं मिल रहे हैं।
प्लास्टिक प्रतिबंध- प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लग पाया है। बोतल क्रश करने की तीन मशीनें ही स्थापित हुई हैं।
वैज्ञानिक लेंडफिल- भानपुर की पुरानी खंती को वैज्ञानिक तरीके से बंद करने का काम जारी है। आदमपुर में इस साल काम शुरू नहीं हो सकेगा।
डंप साइट का उपचार- शहर में ऐसे 12 घोषित कचरा स्टेशन हैं, जहां से आदमपुर ले जाने कचरा उठता है। इन साइट की जमीनों के वैज्ञानिक उपचार के लिए अभी कोई प्रबंध नहीं है। खाद बनाने वाले सेंटर बंद हैं।
नागरिक शिकायत तंत्र- बीएमसी कॉल सेंटर नंबर 18002330014 संचालित है। यहां से शिकायतें एएचओ को भेजी जाती है। 48 घंटे के अंदर रिस्पांस का दावा है।
नालों का चैनलाइजेशन- बरसाती पानी के भराव को रोकने शहर के नाले-नालियों का चैनलाइजेशन। शहर में अमृत प्रोजेक्ट के तहत ये काम जारी है।
तीन आर प्रणाली- कचरा प्रबंधन के लिए रिड्यूज, रियूज और रिसाइकल प्रणाली फिलहाल शुरू नहीं हो सकी है।
सौंदर्यीकरण- सार्वजनिक स्थलों की दिवालों पर चित्र बनवाने के साथ सडक़ों के दोनों ओर ग्रीनरी विकसित करना।
भोपाल छोडक़र सभी महानगरों की जानकारियां आईं हैं चौथे सर्वे से पहले सभी निकायों को साल भर सक्रिय रखने स्टार रैंकिंग की जा रही है। हर तीन माह में फीडिंग देने के क्रम में भोपाल छोडक़र सभी महानगरों की जानकारियां आईं हैं।
नीलेश दुबे, डायरेक्टर, स्वच्छता मिशन, मप्र
नीलेश दुबे, डायरेक्टर, स्वच्छता मिशन, मप्र