दरअसल, स्मार्ट सिटी के एबीडी प्रोजेक्ट में नॉर्थ व साउथ टीटी नगर में 6000 से अधिक पेड़ हैं। इनमें से साढ़े चार हजार पेड़ बचाने व 1500 से अधिक शिफ्ट करना तय हुआ था। हालांकि बड़ी संख्या में अब तक पेड़ काटे जा चुके हैं। साउथ टीटी नगर में ही 3000 के करीब पेड़ हंै, जो अभी किसी वन क्षेत्र की तरह अहसास कराते हंै। फिर भी निर्माण के लिए इनमें से काफी हटाए जाएंगे। हालांकि स्मार्ट सिटी के प्रभारी इंजीनियर ओपी भारद्वाज का कहना है कि एजेंसी तय की जा रही है। इन्हें पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से ही शिफ्ट करेंगे। एजेंसी पेड़ों का रखरखाव भी करेगी।
कर्नाटक में पेड़ शिफ्टिंग का था बड़ा प्रोजेक्ट
कर्नाटक में धारवाड़ सर्किल के तहत गडग जंगल के पेड़ रोड चौड़ीकरण में बाधक थे। 1200 पेडï शिफ्ट किए गए थे। पेड़ शिफ्टिंग की ये सफल स्टोरी है, लेकिन इसमें तगड़ा खर्च हुआ। तकनीकी व वैज्ञानिक पद्धति से पेड़ों को हटाया गया। एक्सपर्ट्स के अनुसार पेड़ को उखाड़ा जाता है तो उसे कई तरह के शॉक्स लगते हैं। रूट इंजरी, धूप, मदर सॉयल से अलगाव, नमी की कमी, इंफेक्शन, ट्रांसपोर्ट के दौरान इंजरी, नई जमीन के वातावरण के लिए अंजान होना, यात्रा का समय कई कारण होते हैं जिससे शिफ्टिंग फेल हो सकती है। पेड़ उखाडऩे के पांच से सात दिन पहले प्री-ट्रीटमेंट किया जाता है। पेड़ के आसपास एक मीटर गहरा ट्रेंच खोदकर लगातार पानी दिया जाता है। एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगल स्पे्र-सॉल्यूशन का उपयोग होता है। पर्याप्त मात्रा में ऑर्गेनिक खाद, वर्मी कंपोस्ट, मदर लैंड की मिट्टी रखी जाती है।
कर्नाटक में धारवाड़ सर्किल के तहत गडग जंगल के पेड़ रोड चौड़ीकरण में बाधक थे। 1200 पेडï शिफ्ट किए गए थे। पेड़ शिफ्टिंग की ये सफल स्टोरी है, लेकिन इसमें तगड़ा खर्च हुआ। तकनीकी व वैज्ञानिक पद्धति से पेड़ों को हटाया गया। एक्सपर्ट्स के अनुसार पेड़ को उखाड़ा जाता है तो उसे कई तरह के शॉक्स लगते हैं। रूट इंजरी, धूप, मदर सॉयल से अलगाव, नमी की कमी, इंफेक्शन, ट्रांसपोर्ट के दौरान इंजरी, नई जमीन के वातावरण के लिए अंजान होना, यात्रा का समय कई कारण होते हैं जिससे शिफ्टिंग फेल हो सकती है। पेड़ उखाडऩे के पांच से सात दिन पहले प्री-ट्रीटमेंट किया जाता है। पेड़ के आसपास एक मीटर गहरा ट्रेंच खोदकर लगातार पानी दिया जाता है। एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगल स्पे्र-सॉल्यूशन का उपयोग होता है। पर्याप्त मात्रा में ऑर्गेनिक खाद, वर्मी कंपोस्ट, मदर लैंड की मिट्टी रखी जाती है।
एक्सपर्ट टीम लगती है शिफ्टिंग में
– ट्री ट्रीटमेंट टीम
-ट्रांसपोर्ट टीम
– मशीन, उपकरण संचालन टीम
– लॉजिस्टिक टीम व अन्य ट्री शिफ्टिंग से बड़े व पुराने पेड़ों को बचाना एक सपना ही है। ये बेहद खर्चीला भी है। भोपाल में जिस तरह की ट्री शिफ्टिंग होती है, वह दस फीसदी तक भी रिजल्ट दे दे तो बड़ी बात है। पेड़ों को बचाते हुए प्लान बनाने की जरूरत है।
केसी मल, रिटायर्ड डिप्टी कंजरवेटर सीपीए फॉरेस्ट
– ट्री ट्रीटमेंट टीम
-ट्रांसपोर्ट टीम
– मशीन, उपकरण संचालन टीम
– लॉजिस्टिक टीम व अन्य ट्री शिफ्टिंग से बड़े व पुराने पेड़ों को बचाना एक सपना ही है। ये बेहद खर्चीला भी है। भोपाल में जिस तरह की ट्री शिफ्टिंग होती है, वह दस फीसदी तक भी रिजल्ट दे दे तो बड़ी बात है। पेड़ों को बचाते हुए प्लान बनाने की जरूरत है।
केसी मल, रिटायर्ड डिप्टी कंजरवेटर सीपीए फॉरेस्ट