पत्रिका ने 22 फरवरी के अंक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। इसमें यह बताया गया था कि स्मार्टसिटी के टीटी नगर एरिया बेस्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (एबीडी) के लिए अगस्त 2018 में जारी पर्यावरणीय अनुमतियों की शर्तें नहीं मानी जा रही।
एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच के समक्ष ग्रीन एंड ग्रीन लॉयर्स की ओर से निमिषा नायक ने याचिका दाखिल की थी। इसे स्वीकार मंगलवार को एनजीटी ने मामले की सुनवाई शुरू करते हुए नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। आवेदक की ओर से एडवोकेट सचिन वर्मा ने पैरवी की। उन्होंने एनजीटी को बताया कि ग्रीन बेल्ट के लिए जो मापदंड बने हुए हैं, टीटी नगर में विकसित हो रही स्मार्ट सिटी में उसका भी पालन नहीं किया गया।
यहां पर 6 हजार से अधिक पेड़ों को काट दिया गया है। इस क्षेत्र में ट्रैफिक के कारण लगातार वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। टीटी नगर में इन समस्याओं को कम करने के लिए बफर जोन का काम करने वाले करीब डेढ़ हजार पेड़ भी काट दिए गए। स्थिति ये हैं कि स्मार्टसिटी के मास्टर प्लान में ग्रीन स्पेस ही तय नहीं की। 342 एकड़ में 17 प्रतिशत क्षेत्र में खुले क्षेत्र के साथ ग्रीन स्पेस जोड़ दिया गया।
स्मार्टसिटी ने एबीडी प्रोजेक्ट में हरियाली का प्रतिशत बढ़ाने शासन से लेकर पर्यावरण अनुमति देने वाली एजेंसी तक से झूठ बोला। नक्शे में दशहरा मैदान, टीटी नगर स्टेडियम को उसने ग्रीन स्पेस बताया। जबकि ये पब्लिक सेमी पब्लिक यानि सार्वजनिक सुविधा विकसित करने के लैंडयूज के तहत आते हैं। यदि इन दो प्लॉट को ग्रीन स्पेस से हटा दें तो टीटी नगर में कोई हराभरा क्षेत्र नहीं बचेगा। इसके बाद एनजीटी ने नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।