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मॉनीटरिंग में फेल हुई स्मार्ट रोड, चुनाव से पहले तैयार होना मुश्किल

locationभोपालPublished: Sep 10, 2018 09:06:22 am

Submitted by:

Rohit verma

खर्च हो गए 30 करोड़, प्रोजेक्ट का 40 फीसदी काम अभी भी बाकी

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देवेंद्र शर्मा
भोपाल. स्मार्ट सिटी के तहत शुरू हुआ 30 करोड़ का पहला प्रोजेक्ट स्मार्ट रोड आशंकाओं के घेरे में है। केंद्र की मॉनीटरिंग कमेटी ने इस पर असंतोष जताया है। स्मार्ट सिटी को एक रिपोर्ट में चेताया है कि प्रोजेक्ट में केंद्र अपनी मदद रोक सकता है।
30 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की पूरी राशि खर्च हो चुकी है, फिर भी 40 फीसदी काम बाकी है। महापौर आलोक शर्मा स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन व निगम अफसर विधानसभा चुनाव से पहले इसे पूरा करना चाहते हैं। जून 2018 में पूरा करने का दावा किया था। प्रोजेक्ट के इंचार्ज स्मार्ट सिटी के एसइ रामजी अवस्थी हैं। रोड कब पूरी होगी, इन्हें पता नहीं है।
ये कारण जिनसे प्रोजेक्ट खतरे में…
पीपीपी के तहत शुरू हुए प्रोजेक्ट के तीन मुख्य ठेकेदार काम छोड़ चुके हैं। अब पेटी कांट्रेक्टर से काम कराया जा रहा है।
150 परिवारों का विस्थापन दिक्कत दे रहा है। अब तक इसे पूरी तरह से हटाया नहीं गया।
सडक़ निर्माण की गुणवत्ता अपेक्षाकृत कमतर है। डक्ट से लेकर बाउंड्रीवॉल में कई जगह दोबारा काम कराया जा रहा है।
ग्रीन वर्ज का काम अब तक शुरू नहीं हुआ, इसमें समय लगता है।
साइकिल ट्रैक का काम भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
ये कारण जिनसे खराब हुई गुणवत्ता
2.5 किमी की रोड पर जमीन संबंधी विवाद निपटाए बिना निर्माण शुरू कर दिया गया
निर्माण के दौरान संबंधित एजेंसियों, जैसे नगर निगम, बिजली कंपनी के इंजीनियरों के साथ पाइप लाइन और बिजली लाइन जैसे मसले नहीं सुलझाएं, निर्माण के दौरान टूट-फूट हुई, जिससे काम प्रभावित हुआ
काम को समय सीमा में पूरा कराने का जिम्मा एसई रामजी अवस्थी पर था, पर वे बढ़ती लागत की वजह से भागते ठेकेदारों को रोक नहीं सके।
पेटी कांट्रेक्टर से स्मार्ट रोड का काम टुकड़ों में कराया जा रहा। लोकल ठेकेदार काम करेंगे तो गुणवत्ता खराब होगी ही।
अभी हकीकत से काफी दूर
स्मार्ट पोल में इंटरनेट फैसिलिटी, सीसीटीवी कैमरे के साथ लाइटिंग, प्रदूषण बताने वाला पॉल्यूशन लेवल डिटेक्टर।
साइकिल ट्रैक के साथ अंडर ग्राउंड बिजली की एलटी लाइन करना। 1.2 मीटर गहरी और एक मीटर चौड़ी डक्ट दोनों ओर बने, ताकि लाइन उसमें से जा सके।
मुख्य रोड से साइकिल ट्रैक को पूरी तरह से अलग करने के लिए दोनों ओर एक मीटर चौड़ाई का ग्रीन वर्ज और ब्यूटीफिकेशन करना।
8.5 मीटर की दो अलग-अलग कैरिज-वे बनाना और इसमें ढाई फीसदी का डीबीसी बीसी क्रस्ट कैंबर बनाना, ताकि बारिश का पानी आसानी से रोड से निकल सके। बिना फिसलन लोगों को इस पर 80 किमी प्रतिघंंटे की रफ्तार का दावा।
प्रति 30 मीटर में लाइट लगाना, ताकि पर्याप्त रोशनी हो सके।
सडक़ किनारे स्थित ऑफिस, घरों को अलग से सर्विस रोड बनाकर कनेक्टिविटी देना।
दो मीटर चौड़ा फुटपाथ बनाने के साथ ही एक सर्विस डक्ट अलग से बनाना, ताकि कभी बिजली की लाइन सडक़ को क्रॉस करके भी डाली जा सके।
स्मार्ट रोड को चुनाव से पहले ही पूरा कराना है। ये सही है कि शुरुआत में कई बातों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब काम तेजी से करा रहे हैं। सरकार के जो भी सवाल होंगे, उसके जवाब दिए जाएंगे।
आलोक शर्मा, महापौर

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