केस- 1
सितम्बर २०१७ में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भतीजे विभोर शर्मा ने फंदा लगाकर जान दे दी। घटनास्थल पर न कोई सुसाइड नोट मिला न ही परिस्थितियों से ही कोई सुराग मिल सका। पूरा दारोमदार मोबाइल पर था, लेकिन मोबाइल पैटर्न लॉक था। तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस और साइबर पुलिस के एक्सपर्ट तक पैटर्न लॉक नहीं खोल सके। बाद में मोबाइल को सर्टइन को भेजा गया, रिपोर्ट अभी तक पेडिंग हैं।
केस-2
अगस्त २०१७ में दमोह में कथित तौर पर ब्लू व्हेल गेम के चैलेंज पूरा करने के दौरान एक छात्र ने जान दे दी। छात्र के मोबाइल में पैटर्न लॉक लगा था जिसके चलते पता ही नहीं चल सका कि वह कौन सा गेम खेल रहा था और उसे कौन निर्देशित कर रहा था। पैटर्न लॉक को गुना पुलिस से लेकर साइबर सेल तक नहीं खोल सकी। छात्र की मौत से जुड़ी गुत्थी पैटर्न लॉक के कारण ही नहीं सुलझ सकी।
केस-3
विभोर शर्मा के मोबाइल में पैटर्न लॉक था जिसके चलते उसे खोला नहीं जा सका, बाद में हमने उसे सर्टइन भेजा लेकिन अभी तक वहां से भी कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इसके लिए रिमाइंडर भी भेजा गया है। आपराधिक मामलों में पैटर्न लॉक मुसीबत बन रहे हैं वहीं आम लोगों के लिए आपात स्थिति में यह ऐसी समस्या बन सकते हैं जिसे सुलझाना मुश्किल होगा।
आशीष भट्टाचार्य, थाना प्रभारी, कमला नगर
पैटर्न लॉक की तकनीक इतनी जटिल होती है कि इसे खोलने में बहुत दिक्कतें आती हैं, कथित तौर पर ब्लू व्हेल गेम खेलने के दौरान जान देने वाले किशोर का मोबाइल हमने सर्टइन को भेजा था वहां से रिपोर्ट आ सकी। इसी तरह अन्य मामलों में भी लॉक खोलने के लिए बाहर भेजने पड़ते हैं। कम से कम परिवार में किसी एक व्यक्ति को लॉक की जानकारी देना चाहिए जिससे मुसीबत या किसी अनहोनी के समय महत्वपूर्ण डेटा परिवार को मिल सके।
शैलेन्द्र सिंह चौहान, एसपी साइबर सेल