बाद में समय-समय पर इनका जहर निकाला जाए। सिंघार ने कहा, सांप के जहर दवाइयों में उपयोग के कारण बहुत महंगा होता है। इसी के चलते सांपों के जहर की तस्करी होती है। मंत्री सिंघार ने बैठक में अफसरों से कहा कि वन विहार में नाइट सफारी शुरू की जाए। यहां नाइट सफारी की काफी संभावनाएं हैं, इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
नाइट सफारी की व्यवस्था कुछ ही गिने-चुने शहरों में है। उन्होंने वाइल्ड लाइफ विंग के अधिकारियों से पूछा कि अक्सर ऐसा देखने में आता है कि कहीं से भी बाघ को पकड़कर उसे वन विहार अथवा किसी जू में डाल दिया जाता है, ऐसा क्यों किया जाता है।
इस मामले में अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हीं बाघों को वन विहार या जू में लाया जाता है जो जो खुद को जंगल में जीवित रहने के समक्ष नहीं होते हैं। ये बाघ खुद शिकार नहीं कर पाते हैं एेसे में डाक्टरों की सलाह पर ही उन्हें जू में रखा जाता है। वनमंत्री ने कहा कि रातापानी और ओंकारेश्वर को नेशनल पार्क बनाने के संबंध में कई वर्र्षों से प्रयास चल रहा है, इसकी वर्तमान स्थिति के संबंध में जानकारी दें, जिससे इस प्रस्ताव को वे स्वयं आगे बढ़ाने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि मांडू में अभ्यारण्य बनाने के संबंध मे भी प्रस्ताव तैयार करें।
वन अफसरों ने रोया बजट का रोना
वन अधिकारियों ने मंत्री से कहा कि वन विभाग का बजट लगातार घटता जा रहा है, ऐसे में विभाग चलाना मुश्किल हो रहा है। अधिकारियों ने मंत्री को बताया कि चार साल पहले विभाग को 27 सौ करोड़ रूपए बजट मिलता था अब उसे 25 सौ करोड़ कर दिया गया है, जिसमें से 13 करोड़ तो सिर्फ विभाग का स्थापना व्यय पर खर्च हो जाता है। बजट की कमी के चलते वन क्षेत्रों में कर्मचारियों के लिए आवास नहीं बन पा रहे हैं।