नारी शक्ति की एक मिशाल पेश करने वाली आकांक्षा एयर होस्टेज हैं। ये निजी कंपनी में बड़े पद पर काम भी कर चुकी है। इन्होंने बताया कि यहां तक पहुंचने से पहले कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। पांच बहने हैं। मां ने सिंगल मदर के रूप में पूरी जिम्मेदारी उठाई। गरीबी थी ऐसे में पढ़ाई तो दूर गुजारे के लायक पैसे नहीं होते थे।
कक्षा 12वीं तक स्कूल गई। कॉलेज जाने की बजाय नौकरी कर ली। ताकि छोटी बहनों को शिक्षा दे सके। नौकरी के साथ ही ओपन एजुकेशन से आगे पढ़ाई जारी रखी। एयरपोर्ट में जॉब मिला था ऐसे में वहां से एयरहोस्टेज बनने का सपना देखा। मां के साथ परिवार चलाने में मदद करते हुए सपने का पूरा करने के लिए भी कोशिश करती है।
मां के बाद आकांक्षा ने ही उठाई परिवार की सारी जिम्मेदारी
इनकी एक बहन दिव्या डेंटल चिकित्सक हैं। इन्हें गोल्ड मेडल मिला था। दिव्या ने बताया कि मां के बाद बड़ी बहन ने भी सारी जिम्मेदारी उठाई। अब परिवार की स्थिति अच्छी है। अब दूसरों की मदद के लिए सभी मिलकर काम कर रहे हैं ताकि किसी को परेशान न होना पड़े।
बैरागढ़ निवासी आकांक्षा ने बताया कि कई जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए एक संगठन तैयार किया। जिसमें कई युवा शामिल हैं। इसमें उनकी बहन दिव्या भी शामिल हैं। इसके जरिए जरूरतमंदों को दवाएं, किताबें आदि पहुंचाई जाती हैं। कई गांवों तक जाकर काम किया गया।