भोपाल

कुछ नेता उगल रहे आग, कुछ का मुद्दे पर फोकस

लोकसभा का रण : धर्म, पाकिस्तान, आतंकवाद और स्थानीय मुद्दों पर जुबानी जंग तेजे- वोट मांगने दिग्गजों की थीम-स्पीच जुदा- वादों की बयार, लेकिन पुराने वादों पर चुप्पी

भोपालApr 23, 2019 / 09:39 pm

anil chaudhary

loksabha chunav

जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. लोकसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। सभी अपने जुदा किस्म के भाषणों से वोटरों को लुभाने के जतन कर रहे हैं। इसमें से किसी को राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलना पसंद है तो कोई स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रहा है। कोई केवल धर्म पर टिका है तो कोई वादों की बयार ला रहा है, लेकिन पुराने वादों पर बोलने से परहेज कर रहे हैं। वे भाषण में ठेठ देहाती भाषा बोलने से लेकर आवाज में उतार-चढ़ाव के ड्रामेटिक अंदाज तक अपना रहे हैं। जानिए, नेताजी के स्पीच-स्टाइल और थीम…
कांग्रेस
दिग्विजय सिंह, भोपाल प्रत्याशी व पूर्व सीएम
अपने चिर-परिचित अंदाज से जुदा गंभीर रणनीतिक स्टाइल में काम कर रहे हैं। कभी विवादास्पद बयान देते रहने वाले दिग्विजय अब बेहद संतुलित बयान देते हैं। भोपाल के स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया है। वोटों के धु्रवीकरण को रोकने के लिए भाषणों में खुद को सच्चा हिन्दू बता रहे हैं। चुनाव को विकास के मुद्दे पर केंद्रित रखने की कोशिश।
– ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुना प्रत्याशी व सांसद
सिंधिया अपने पुराने अंदाज में काम कर रहे हैं। आक्रामक व ड्रामेटिकल संवाद शैली को अपनाते हैं। भाषणों में मोदी, पकौड़ा और दूसरे राष्ट्रीय मुद्दों पर सबसे ज्यादा फोकस। ‘चौकीदार चोर हैÓ टैगलाइन का भी खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रदेश के भाजपा कार्यकाल के भ्रष्टाचार भी गिना रहे हैं। सिंधिया घराने और अपने कामों का जिक्र अकसर करते रहते हैं।
– अरुण यादव, खंडवा प्रत्याशी व पूर्व सांसद
स्थानीय मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक भाषण में शामिल। कभी ठेठ देहाती भाषा और अंदाज तो कभी व्यंग्यात्मक शैली से पहार करते हैं। शिवराज के भ्रष्टाचार से लेकर मोदी के पकौड़े वाले बयान तक पर निशाना साधते हैं। प्रतिद्वंद्वी नंदकुमार पर खुलकर निशाने। कांग्रेस सरकार के 100 दिन में 83 वादों को पूरा करने का खूब जिक्र करते हैं।
नकुलनाथ, छिंदवाड़ा प्रत्याशी
पूरी तरह पिता मुख्यमंत्री कमलनाथ की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की ‘इमोशनल ब्रांडिंगÓ पर फोकस। हर भाषण में पिता व परिवार का जिक्र। 40 सालों के पारिवारिक रिश्ते व नए राजनीतिक रिश्ते बनने का हवाला। छिंदवाड़ा मॉडल के विस्तार के वादों पर फोकस। पिता के समय से कांग्रेस का झंडा लेकर घूमने का हवाला। छवि में भी पिता की झलक।

भाजपा
नरेंद्र सिंह तोमर, मुरैना प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री
चिर-परिचित शैली में भाषण देना। भाषण के अलावा कम बोलते हैं। प्रचार में भी जुबानी वार्तालाप कम करते हैं। भाषण में मोदी और अपने केंद्रीय मंत्री कार्यकाल के कामों पर फोकस। ठकुराई स्टाइल में बड़े मुद्दों को गंभीर व्यंग्यात्मक तरीके से भाषणों में शामिल कर रहे हैं। मोदी के कार्यकाल, सर्जिकल स्ट्राइक और राहुल गांधी परिवार पर बयानबाजी करते हैं।
– प्रज्ञा ठाकुर, भोपाल प्रत्याशी व मालेगांव विस्फोट की आरोपी
पूरी तरह हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद पर फोकस। ज्यादातर अपने ऊपर पर हुए अत्याचारों का हवाला देती हैं। इमोशनल कार्ड भी खेल रही हैं। आक्रामक, इमोशनल और हिन्दुत्व आधारित भाषण शैली। चुनाव को राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व पर लडऩे का प्रयास। भाषण धर्म-राष्ट्रवाद, राम-मंदिर मुद्दे, अपने पर प्रताडऩा, पाकिस्तान और आतंकवाद पर फोकस रहता है।
– राकेश सिंह, जबलपुर प्रत्याशी व सांसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का भाषणों में खूब उल्लेख करते हैं। सधे हुए भाषण देते हैं। राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक, चौकीदार कैंपेन का बार-बार हवाला देते हैं। राहुल गांधी परिवार पर खूब निशाना साधना। प्रियंका व उनके पति राबर्ट वाड्रा पर निशाना। ज्यादातर राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलना।
– नंदकुमार सिंह चौहान, खंडवा प्रत्याशी व मौजूदा सांसद
चिर-परिचित आक्रामक शैली ही चल रही। मोदी के काम, राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक तक का भाषणों में उल्लेख। प्रदेश में भाजपा के कार्यकाल और कांग्रेस की नई सरकार के कामों की तुलना करके सबक की नसीहतें, बिजली का उल्लेख, तबादला उद्योग पर निशाना। कांग्रेस व गांधी परिवार पर खूब अटैक।

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