...और यहां तीन लाख ज्यादा खर्च किए फिर भी नहीं बने हॉकर्स कॉर्नर
शासकीय मुद्रणालय एमपी नगर के सामने समेत जोन नंबर एक से जोन नंबर नौ में तीन हॉकर्स कॉर्नर के लिए 21 लाख रुपए तय किए थे। वार्ड 14 में दस लाख रुपए खर्च से स्मार्ट हॉकर्स कॉर्नर विकसित करना था, अन्य भी इसी तरह काम करना था। लेकिन आधे अधूरे हॉकर्स कॉर्नर पर ही 24 लाख खर्च कर दिए। ये उपयोगी साबित नहीं हो रहे। गौरतलब है कि 19 जोनों में हॉकर्स कॉर्नर बनाने की योजना बनाई गई थी। 12 जोनों में हाकर्स कॉर्नर बन चुके हैं, लेकिन अन्य 7 जोनों में अब तक हॉर्कस कॅार्नर नहीं बन पाए।
शासकीय मुद्रणालय एमपी नगर के सामने समेत जोन नंबर एक से जोन नंबर नौ में तीन हॉकर्स कॉर्नर के लिए 21 लाख रुपए तय किए थे। वार्ड 14 में दस लाख रुपए खर्च से स्मार्ट हॉकर्स कॉर्नर विकसित करना था, अन्य भी इसी तरह काम करना था। लेकिन आधे अधूरे हॉकर्स कॉर्नर पर ही 24 लाख खर्च कर दिए। ये उपयोगी साबित नहीं हो रहे। गौरतलब है कि 19 जोनों में हॉकर्स कॉर्नर बनाने की योजना बनाई गई थी। 12 जोनों में हाकर्स कॉर्नर बन चुके हैं, लेकिन अन्य 7 जोनों में अब तक हॉर्कस कॅार्नर नहीं बन पाए।
ऐसे समझें स्थिति
शासकीय सरोजिनी नायडू कन्या महाविद्यालय (नूतन कॉलेज) के सामने वर्ष 2016 में महिला हॉकर्स कॉर्नर बनाया गया। 10 हजार वर्ग फीट भूमि पर इसे 25 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया, लेकिन ये अब तक शुरू नहीं हो पाया। यहां राजनीतिक दखलअंदाजी इसके शुरू होने में बड़ी बाधा बन रही है।
स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने बोर्ड ऑफिस चौराहे से ज्योति टॉकीज तक 7 करोड़ से स्मार्ट स्ट्रीट डेवलप किया। यहां विशेष रूप से हॉकर्स कॉर्नर शुरू करना था। लेकिन यहां हॉकर्स कॉर्नर अभी तक खाली है, आसपास गुमठियां जरूर लग गईं हैं। यहां स्थितियां बेहतर होने की बजाय बदतर हो रही है।
मैनिट के पास हॉकर्स कॉर्नर भी बीते करीब पांच साल से शुरू होने का इंतजार कर रहा है। यहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसका शुभारंभ भी किया, लेकिन ये आगे संचालित नहीं हो पाया। यानी तय नहीं हो पाया कि कौन दुकान लगाएगा, ऐसे में ये खाली ही पड़ा हुआ है।
कोलार के जोन क्रमांक 19 में शामिल गेहूंखेड़ा नहर के पास आत्मनिभर्र हॉकर्स कॉर्नर के लिए स्थान का गलत चयन किया गया। स्थिति ये है कि इसका निर्माण कर शुभारंभ कर दुकान का आवंटन किया जा चुका है, लेकिन यहां की बजाय दुकानदार सड़क पर ही दुकानें लगा रहे हैं। इससे अव्यवस्था फैल रही है।
शासकीय सरोजिनी नायडू कन्या महाविद्यालय (नूतन कॉलेज) के सामने वर्ष 2016 में महिला हॉकर्स कॉर्नर बनाया गया। 10 हजार वर्ग फीट भूमि पर इसे 25 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया, लेकिन ये अब तक शुरू नहीं हो पाया। यहां राजनीतिक दखलअंदाजी इसके शुरू होने में बड़ी बाधा बन रही है।
स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने बोर्ड ऑफिस चौराहे से ज्योति टॉकीज तक 7 करोड़ से स्मार्ट स्ट्रीट डेवलप किया। यहां विशेष रूप से हॉकर्स कॉर्नर शुरू करना था। लेकिन यहां हॉकर्स कॉर्नर अभी तक खाली है, आसपास गुमठियां जरूर लग गईं हैं। यहां स्थितियां बेहतर होने की बजाय बदतर हो रही है।
मैनिट के पास हॉकर्स कॉर्नर भी बीते करीब पांच साल से शुरू होने का इंतजार कर रहा है। यहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसका शुभारंभ भी किया, लेकिन ये आगे संचालित नहीं हो पाया। यानी तय नहीं हो पाया कि कौन दुकान लगाएगा, ऐसे में ये खाली ही पड़ा हुआ है।
कोलार के जोन क्रमांक 19 में शामिल गेहूंखेड़ा नहर के पास आत्मनिभर्र हॉकर्स कॉर्नर के लिए स्थान का गलत चयन किया गया। स्थिति ये है कि इसका निर्माण कर शुभारंभ कर दुकान का आवंटन किया जा चुका है, लेकिन यहां की बजाय दुकानदार सड़क पर ही दुकानें लगा रहे हैं। इससे अव्यवस्था फैल रही है।
हॉकर्स कॉर्नर का संचालन कराने की कवायद की जा रही है। संबंधितों से चर्चा करके हॉकर्स कॉर्नर जनहित में खुलवाए जाएंगे। जिनका काम पूरा नहीं है या शुरू नहीं हो रहे हैं, उनपर भी काम किया जाएगा।
- केवीएस चौधरी, निगमायुक्त