भोपाल

सोन चिरैया अभयारण्य का दायरा होगा कम, किसानों को मिलेगा फायदा, नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने दी मंजूरी

नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने दी मंजूरी, 111 किलोमीटर कम होगा सोन चिरैया अभयारण्य का दायरा

भोपालJul 24, 2019 / 09:58 am

KRISHNAKANT SHUKLA

सोन चिरैया अभयारण्य का दायरा होगा कम, किसानों को मिलेगा फायदा, नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने दी मंजूरी

भोपाल. ग्वालियर के घाटीगांव सोन चिरैया अभयारण्य का 111 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कम किया जाएगा। इसके लिए नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मंजूरी मिल गई है। वन्यप्राणी प्रमुख ने इस अभयारण्य को डि-नोटीफाई करने का प्रस्ताव शासन के पास भेजा है। वन विभाग जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों से दावे-आपत्तियां लेगा।

सोन चिरैया अभयारण्य 512 वर्ग किमी में फैला है। इसके बड़े हिस्से में किसानों की जमीन शामिल है। वहीं, अभयारण्य की सीमा से लगी हुई जमीन पर कुछ स्टोन खदानें हैं। अभयारण्य के नियम-कानून के चलते स्थानीय लोग न तो इस क्षेत्र में जमीन खरीद पा रहे हैं और न ही अपनी जमीन बेंच पा रहे हैं। खदान क्षेत्र होने के बावजूद वे अपनी जमीन का व्यावसायिक उपयोग भी नहीं कर पा रहे हैं।

केंद्र सरकार के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बताया है कि नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने सोन चिरैया अभयारण्य का एरिया कम करने की मंजूरी दी है।
– यू प्रकाशम

चीफ स्टेट वाइल्ड लाइफ वार्डन, अब दिखाई नहीं देती सोन चिरैया

जानकारों का कहना है कि सोन चिरैया का अभयारण्य से गायब होने में स्थानीय लोगों की बड़ी भूमिका है। उन्हें लगता है कि जब तक सोन चिरैया अभयारण्य में दिखती रहेगी तब तक उनकी जमीनें अभयारण्य से बाहर नहीं हो पाएंगी। यही वजह है कि सालों से अभयारण्य में सोन चिरैया नहीं दिखाई दी। राज्य सरकार पिछले चार साल से इस एरिया को डि-नोटिफाई करने का प्रयास कर रही है, लेकिन केन्द्र की मंजूरी न मिलने से मामला अटका हुआ था।

पिछले वर्ष राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने अभयारण्य के एक बड़े एरिया को डि-नोटिफाई करने का प्रस्ताव मंजूर कर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा था। इसमें कहा गया था कि सोन चिरैया अभयारण्य की जितनी जमीन कम होगी उससे चार गुना जमीन 404 वर्ग किमी एरिया पालपुर कुनो नेशलन पार्क का बढ़ा दिया है। इस पर केन्द्र ने मंजूरी दे दी ।

स्थानीय लोगों को ये होगा फायदा

अभयारण्य का एक बड़ा एरिया डि-नोटीफाई होने से स्थानीय निवासी अपनी जमीन को बेच सकेंगे। वहीं, बैंक से भी कर्ज ले सकेंगे। घाटिगांव एरिया में पत्थर की खदानें हैं। कई किसानों की जमीन में पत्थर हैं, वे अपनी जमीन से पत्थर उत्खनन करने के लिए सरकार से लाइसेंस भी ले सकेंगे।

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