इधर, मप्र की जांच एजेंसी ने भी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान का अन्य डॉक्टरों से परीक्षण करवाया और इलाज संबंधी पुरानी रिपोट्रर्स देखी हैं। इसके लिहाज से डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान की दवाइयों का प्रबंध और खान-पान, रहने और कपड़ों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि कहीं वह और अधिक अवसाद में न चला जाए। इसलिए डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान को पुलिस हिरासत जैसा माहौल भी नहीं दिया जा रहा है। आरोपी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान के पांच बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी 12 साल की है। पत्नी के अलावा डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान के परिवार वाले अन्य सभी सदस्य उसके साथ नहीं हैं। सभी का तर्क है कि अस्वस्थ्य होने के कारण परिजन डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान से दूरी बनाकर ही रखते हैं।
एटीएस ने आरोपी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान को सात दिन की पुलिस रिमांड पर ले रखा है। एटीएस की अब तक की छानबीन में सामने आया है कि आरोपी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान मूल रूप से होम्योपैथी डॉक्टर है और क्लीनिक चलाता है। जब एटीएस डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान को हिरासत में लेने पहुंची तो उन्हें भी यहां मरीजों की लंबी कतार का सामना करना पड़ा। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान खुद मनोरोगी होने के बावजूद कई मरीजों का इलाज करता था। एटीएस इस बिंदु पर भी पूछताछ करेगी। काल्पनिक आतंकी संगठन में जिन्हें शामिल किया गया उन सभी लोगों के अलावा क्लीनिक पर आने वाले मरीजों से भी आरोपी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान के संबंध में पूछताछ की जाएगी।
डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान ने दो वकीलों को भी आतंकी संगठन का पदाधिकारी बताया है। एटीएस ने जब वकीलों को इसमें शामिल करने की वजह पूछी तो आरोपी डॉ. सैय्यद अब्दुल उर रहमान ने तर्क दिया कि इन्होंने मेरे खिलाफ चल रहे दोनों केस में मेरे भाई हफीज के साथ मिलकर पैरवी की थी। मेरे खिलाफ केस लडऩे के कारण इनका नाम जोड़ा दिया।