एम्स निदेशक का कार्यभार संभालने के बाद वह पहली बार मीडिया से चर्चा कर रहे थे। एम्स में सीटी स्कैन जांच के लिए मरीजों को एक से डेढ़ महीने का इंतजार करना होता है। इसकी वजह है कि यहां सिर्फ एक मशीन है। इसी मशीन से ओपीडी, आइपीडी और इमरजेंसी मरीजों को जांच सुविधा मुहैया कराई जाती है। नए निदेशक ने बताया कि एक और मशीन यहां लगाने का प्लान बनाया है, जो कि ट्रामा एंड इमरजेंसी में स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि एम्स में 98 करोड़ रुपए की लागत से स्पेशल क्रिटिकल केयर यूनिट बनाए जाने का प्रस्ताव तैयार है। इस सीसीयू में 150 बेड होंगे। हमारा मकसद मध्य भारत की सबसे बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाली सीसीयू स्थापित कर उपचार मुहैया कराना है। अगले तीन वर्षों में इसका काम पूरा हो जाएगा।
80 करोड़ से बनेगा गामा नाइफ सेंटर
एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में 80 करोड़ रुपए से गामा नाइफ सेंटर विकसित किया जाएगा। इस मशीन से ब्रेन ट्यूमर के मरीजों का इलाज आसानी से हो सकेगा। 2.5 सेंटीमीटर से कम का ट्यूमर बिना स्कल खोले निकाला जा सकेगा।