शास्त्रानुसार रुद्राभिषेक करने से प्रभु बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं तथा अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं भी सहज ही पूरी कर देते हैं।
ऐसे करें रुद्राभिषेक…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार सामान्यत: तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अक्सर लोग जल में दूध मिलाकर कच्ची लस्सी और गंगाजल से रुद्राभिषेक करते हैं परंतु घी, तेल, सरसों का तेल, गन्ने के रस और शहद से विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अभिषेक किया जाता है। जबकि दहीं से शिव जी का पूजन किया जाता है।
शिव पुराण की रुद्र संहिता के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी दल और कमल के सफेद फूलों से भगवान शिव की पूजा करते हैं उन्हें भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक भी निश्चित अवधि में तथा सम्बंधित मंत्रोच्चारण के साथ किया जाता है।
मनोकामना अनुसार करें रुद्राभिषेक करें…
1. पंचामृत- पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करने पर हर प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
2. दूध- गाय के दूध से रुद्राभिषेक करने से मनुष्य को यश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा घर में खुशहाली आती है। घर से हर प्रकार के कलह एवं कलेश दूर होते हैं।
3. गंगाजल- भगवान शंकर को गंगा जल परम प्रिय है, इसी कारण गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर रखा है ।
4. देसी घी- गाय के शुद्घ देसी घी से अभिषेक करने पर वंश की वृद्घि होती है।
5. गन्ने का रस- गन्ने के रस से अभिषेक करने पर घर में लक्ष्मी का सदा वास रहता है तथा किसी वस्तु की कभी कोई कमी नहीं रहती।
6. सरसों का तेल- सरसों के तेल के साथ रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है तथा हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है।
7. सुगंधित तेल- यह चढ़ाने से भोगों की प्राप्ति होती है।
8. शहद- शहद से अभिषेक करने पर हर प्रकार के रोगों का निवारण होता है तथा यदि पहले ही कोई रोग लगा हो तो उससे छुटकारा भी मिलता है।
9. मक्खन- मक्खन से अभिषेक करने पर अति उत्तम संतान सुख की प्राप्ति होती है।
10. धतूरा- धतूरे के एक लाख फूलों से निरंतर अभिषेक करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है परंतु लाल डंठल वाले धतूरे से पूजन करना अति उत्तम माना गया है तथा उसे संतान सुख मिलता है।
11. बेल पत्र- घर में सुख-समृद्घि के लिए सावन के महीने में बेल पत्र से पूजन करना चाहिए तथा जिन्हें पत्नी सुख की प्राप्ति में बाधाएं आती हो, उन्हें 40 दिन तक निरंतर भक्ति भाव से बेल पत्र से भगवान का अभिषेक करना चाहिए अथवा एक दिन 108 बेल पत्र ऊं नम: शिवाय मंत्र के उच्चारण के साथ चढ़ाए जाने चाहिए।
12. चमेली- चमेली के फूलों से पूजन करने पर वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
13. कमल पुष्प और शंखपुष्प- इन फूलों से भगवान का पूजन करने वालों को लक्ष्मी यानि धन-दौलत की प्राप्ति होती है। भगवान को नीलकमल और लाल कमल अति प्रिय हैं। इसके अतिरिक्त जल एवं स्थल पर उत्पन्न होने वाले सभी सुगंधित फूलों से भगवान शिव का पूजन किया जा सकता है।
14. करवीर और दुहरियां पुष्प- करवीर के फूलों से पूजन करने पर रोग मिट जाते हैं तथा दुहरिया यानि बन्धूक के पुष्प से प्रभु का पूजन करने से आभूषणों की प्राप्ति होती है।
15. हरसिंगार के फूल- भगवान शिव का पूजन करने पर घर में सुख-संपति की प्राप्ति होती है।
16. गेंहू के कवान- गेहूं के कवानों से भगवान का पूजन करने पर उत्तम फलों की प्राप्ति होती है तथा वंश की वृद्घि होती है।
वहीं पंडित सुनील शर्मा का यह भी कहना है कि नि:संतान दंपत्ति को श्रावण महीने के किसी भी दिन से 40 दिन तक शिवजी को घी चढ़ाना चाहिए, इससे आश्चर्यजनक रूप से संतान की प्राप्ति के योग-संयोग बनते हैं और अधिकांश मामलों में सफलता भी मिलती ही है।
जानिये श्रावण मास में अपनी राशि के मंत्र…
पंडित शर्मा के अनुसार श्रावण मास में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अपनी राशि अनुसार उनकी मंत्र आराधना करनी चाहिए, जो काफी अच्छा फल देती है।
1. मेष- पूरे श्रावण मास में ‘ॐ ममलेश्वराय नम:’ मंत्र का जाप करें।
2. वृषभ- ‘ॐ नागेश्वराय नम:‘ मंत्र का जाप करें।
3. मिथुन- ‘भूतेश्वराय नम:’ का जाप करें।
4. कर्क- महादेव के ‘द्वादश नाम’ का स्मरण करें।
5. सिंह- ‘ॐ नम: शिवाय’ की रोज एक माला करें।
6. कन्या- ‘शिव-चालीसा’ का पाठ करें।
7. तुला- ‘शिवाष्टक’ का पाठ करें।
8. वृश्चिक- ‘ॐ अंगारेश्वराय नम:’ का जाप करें।
9. धनु- ‘ॐ रामेश्वराय नम:’ का जाप करें।
10. मकर-‘शिव सहस्त्रनाम‘ का उच्चारण करें।
11. कुंभ- ‘ॐ शिवाय नम:’ का जाप करें।
12. मीन-‘ॐ भौमेश्वराय नम:’ का जाप करें।