इस तरह करते हैं कुछ लोग दुआ
वहीं, दूसरी तरफ पूरी दुनियां में चंद लोग ऐसे भी हैं, जो इस पाक और रहमत वाले महीने के जाने से काफी ग़मगीन है और तड़प तड़पकर अपने रब से इस महीने में की गई ग़लतियों की माफ़ी इस आखरी रात में मांगेंगे। ऐसे लोग दुनिया से अलग होकर अपने रब के सामने अपनी जिंदगी भर के बुरे अमलों को लेकर खड़े होते हैं और रो-रो कर आगे उस ग़लती को ना दोहराने की बात रखकर सच्चे दिल से अपने रह से दुआ मांगते है। ऐसा नहीं है कि, अल्लाह से इस रात में अपनी तरफ से पहले की गईं ग़लतियों की ही माफी मांगी जाती है, बल्कि इंसान अगर चाहे तो वह अपनी हर जाइज ख्वाहिश को अपने बनाने वाले के सामने रख सकता है, क्योंकि उस बनाने वाले ने खुद क़ुरआन में फ़रमाया है कि, यह रात वह अज़ीम(ख़ास) रात है, जिसमें मज़दूर को मज़दूरी मिलेगी। यानि अल्लाह अपने बंदे को रमज़ान के पाक महीने में की गई इबादत का बदला देता है। ऐसे में अगर इंसान अपने रब से माफी मांग लेता है, या अपनी किसी भी ज़रूरत को अल्लाह के सामने रख देता है तो ज़रा सोचिए कि क्या अल्लाह उस रोज़दार की मांगी हुई माफी और ख्वाहिश को पूरा नहीं करेगा।
इससे भी ज़्यादा ख़ास है यह रात
मगर अफ़सोस इस बात का है कि, आम तौर पर रौज़दार पूरे महीने ईमानदारी से रोज़ा ज़रूर रखते हैं लेकिन रमज़ान की इस आख़री को भूलकर बाज़ारों की रोनक बढ़ाने चले जाते हैं। यह रात कितनी खास है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है, कि पहली बात तो ये कि यह रमज़ान मुबारक की रात है, दूसरी ये कि, यह रात इस मुबारक महीने के खास अशरे की रात है। तीसरी ये कि, इस रात को ताख़ रात होने का दर्जा हासिल है। चौथी ये कि, यह रात उन शबों में शामिल है, जो शबों में सबसे बहतरीन शब यानि शब-ए-कद्र भी हो सकती है। पांचवी ये कि, इस रात को लेकर अल्लाह ने खुसूसी तौर पर कहा है कि, मैं इस महीने में रोज़ा और इबादत करने वालों को उसका बदल दूंगा। तो पता चला आपको कि रमज़ान की यह रात कितनी ख़ास है। लेकिन अफ़सौस इस बात का है कि, कुछ लोग ईद की ख़ुशी में इस रात की कद्र नहीं करते।