शायद आपको भी इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल लगे, लेकिन मध्य प्रदेश (
special story of mp ) की राजधानी भोपाल में एक ऐसा क्षेत्र (
char imli ) भी है, जो कभी चोरों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना था, लेकिन आज यहां आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अफसर और मंत्री रहते ( ajab gajab ) हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं उसी चार इमली ( char Imli ) क्षेत्र की जिसका नाम सुनते ही पॉश कॉलोनी की छवि सामने आती है। इसके साथ ही चार इमली के बंगलों में मध्यप्रदेश के नीति निर्धारक आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अफसर और मंत्री ( residence of officers ) रहते हैं। शायद कम ही लोगों को मालूम है कि इस क्षेत्र का नाम चार इमली क्यों पड़ा।
ऐसे चोर से बना चार इमली ( An intresting history of Bhopal ) : ( प्रो. आफाक अहमद )… इस नाम के पीछे एक रोचक किस्सा है। यह किस्सा पत्रिका के जरिये एमएलबी कॉलेज में उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष रहे 83 वर्षीय प्रो. आफाक अहमद ने शेयर किया था। उनके अनुसार प्रो. आफाक, चार इमली क्षेत्र में चार नहीं इमली ( Imli tree ) के कई पेड़ हुआ करते थे।
MUST READ : मोदी सरकार की नौकरीपेशा महिलाओं के लिए खास योजना, कैसे और किसे होगा कितना फायदा प्रो. आफाक के मुताबिक इसका किस्सा मैंने बचपन में भी सुना है। इसकी दास्तान मैंने अपने बुजुर्गों से सुनी है। बुजुर्ग कहा करते थे कि यहां कभी इमली के पेड़ों का घना जंगल ( forest ) था। चोर इन पेड़ों के नीचे बैठकर या यूं कहें कि इनके बीच छुपकर चोरी की साजिश रचते थे।
इतना ही नहीं, चोरी किया गया सामान भी इसी क्षेत्र में छुपाकर रखते थे। घना जंगल होने के कारण यह पूरा क्षेत्र सुनसान हुआ करता था। यह जगह चोरों के लिए मुफीद थी, इसलिए इस क्षेत्र को चोर इमली ( chor Imli ) के नाम से जाना जाता था। हो सकता है किसी ने मजाक में इस क्षेत्र का नाम चोर इमली रखा होगा।
MUST READ : ज्यादा पानी पीना बीमारी का बन सकता है कारण, ऐसे समझें इसे नाम के मजाक से बचने के लिए बदला नाम- ये बोले प्रो. आफाक … चोर इमली क्षेत्र का विकास हुआ। यहां जब आबादी हुई और लोग रहने लगे तो इस नाम का मजाक न बने, इसलिए लोगों ने नाम थोड़ा बदलकर चार इमली ( char Imli ) रख दिया। अब यह इसी नाम से जाना जाता है और यहां आईएएस अफसर ( officers ) और मंत्री तक रहने लगे हैं।
मुझे याद है भोपाल शहर रोशनपुरा तक सीमित हुआ करता था। रोशनपुरा पर एक नाका था, जहां से घास का गट्ठर लेकर निकलने वालों से रवन्ना (टैक्स) लिया जाता था। उन दिनों मिंटो हॉल में कॉलेज हुआ करता था।
कुछ एक मकान भदभदा पर भी थे। इसके आगे घना जंगल ( jungel ) हुआ करता था। यह उन दिनों की बात है, जब भोपाल में पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय शंकरदयाल शर्मा के बंगले सहित कुल मिलाकर तीन-चार बंगले ही यहां हुआ करते थे। एमएसीटी और पत्रकार भवन भी बाद में बना है। अब यह क्षेत्र विकसित, शांत और पॉश कहलाता है।