script

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर विशेष: जानिये भोपाल कैसे बनी MP की राजधानी

locationभोपालPublished: Nov 01, 2018 08:05:22 am

जबलपुर को राजधानी बनाने की थी ज्यादातर नेता और राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश…

bhopal ki kahani

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर विशेष: जानिये भोपाल कैसे बनी MP की राजधानी

मध्यप्रदेश के गठन के समय ज्यादातर नेता और राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश जबलपुर को राजधानी बनाने की थी। आखिरी वक्त पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पसंद पर भोपाल को राजधानी बनाया गया और जबलपुर के खाते में हाईकोर्ट चला गया।
मध्यप्रदेश बनने की कहानी को पूर्व मुख्यमंत्री द्वारकाप्रसाद मिश्र ने अपने एक आलेख में लिखा है। उनके लेख के महत्वपूर्ण अंश-

देशी राज्यों के विलीनीकरण के समय एक और विस्तृत क्षेत्र उसमे जुड़ गया जो आज बस्तर, रायगढ़ एवं सरगुजा जिले में बंटा है। मध्यभारत और मध्यप्रदेश में मध्य शब्द इस क्षेत्र की एकता कासूचक था।
नागपुर में मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के नेतृत्व में महाकौशल के नेताओं ने निर्णय किया कि महाकौशल, मध्यभारत, भोपाल एवं विंध्य प्रदेश के क्षेत्रों का एकीकरण करके हिंदी प्रदेश की रचना की जाए। जो उत्तरप्रदेश, बिहार एवं राजस्थान के समकक्ष हो।
शुक्ल ने इस विस्तृत क्षेत्र से संबंधी सभी बातों का अध्ययन करने के लिए दुर्ग के घनश्याम सिंह गुप्त और मुझे नियुक्त किया।

जब राज्य पुनर्गठन आयोग नागपुर आया तो नए मध्यप्रदेश के निर्माण के संबंध में आयोग के सामने सभी बातें रखने का कार्य मुझे सौंपा गया। आयोग के सर्वाधिक प्रभावशाली सदस्य पनिक्कर थे।
उन्होंने मुझसे पूछा कि उत्तरप्रदेश में शामिल बुंदेलखंड के चार जिले-झांसी, बांदा, हमीरपुर एवं जालौन को क्यों नहीं मांगा। मैंने उत्तर दिया, इन जिलों के प्रस्तावित नए मध्यप्रदेश में आ जाने से समस्त बुंदेलखंड एक ही राज्य में अवश्य आ जाएगा, परंतु उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंदवल्लभ पंत झांसी की ललितपुर तहसील के लोगों के चाहने पर भी हमें नहीं देना चाहते हैं। ऐसे में ये जिले मांगना बेकार है।
कुछ उत्तेजित होकर पनिक्कर ने कहा कि देने न देने का अधिकार आयोग के सदस्यों का है, न कि पंतजी का। इस पर मैंने उनसे आग्रह किया कि अगर ऐसा है तो इन चार जिलों की मांग भी मेरी ओर से की हुई मान ली जाए।
आयोग की रिपोर्ट निकलने पर मालूम हुआ कि पनिक्कर उत्तरप्रदेश के विभाजन के पक्ष में थे। अतएव उपर्युक्त सुझाव मुझसे किया था। परंतु वे अपने इस उद्योग में सफल नहीं हुए, क्योंकि आयोग के अन्य सदस्य उनसे सहमत नहीं हुए।
आयोग ने नए मध्यप्रदेश का निर्माण की और जबलपुर नगर को राजधानी बनाने की हमारी योजना स्वीकार कर तदनुसार सिफारिश की। प्रधानंमत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जब आयोग की रिपोर्ट पढ़ी तो उसकी किसी सिफारिश पर यदि सार्वजनिक रूप से आश्चर्य प्रकट किया तो वह नए मध्यप्रदेश की विशालता पर।
उन्होंने कहा- आई एम अमेज्ड (मैं आश्चर्यचकित हूं)। उनके इस कथन से मध्यभारत के उन नेताओं को प्रसन्नता हुई जो उसे एक राज्य के रूप में अलग रखना चाहते थे।

जवाहरलाल नेहरू ने वक्तव्य दिया कि महाकौशल आर्थिक दृष्टि से घाटे का क्षेत्र है। इसके उत्तर में पंडित शुक्ल ने कहा कि महाकौशल नहीं मध्यभारत घाटे का क्षेत्र है। मुझे लगा कि विशाल नए मध्यप्रदेश की योजना ढह रही है।
लाचार होकर मैंने प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को पत्र लिखा कि अलग-अलग राज्य बनेंगे तो महाकौशल और मध्यभारत दोनों ही आर्थिक दृष्टि से घाटे वाले राज्य होंगे। परंतु एक साथ आने पर यह नया मध्यप्रदेश सभी प्रकार की संपदा से युक्त ऐसा राज्य होगा कि विकसित होने के पश्चात वह अन्य राज्यों के लिए एक सुदृढ़ स्तंभ का काम करेगा।
तीन चार दिन बाद मुझे पंडित रविशंकर शुक्ल ने टेलीफोन पर बधाई देकर कहा कि अभी-अभी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महामंत्री श्रीमहामन नारायण अग्रवाल ने टेलीफोन पर सूचित किया है कि आयेाग की सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए ज्यों ही कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक आरंभ हुई त्यों ही प्रधानमंत्री नेहरू जी ने कहा कि नए मध्यप्रदेश की सिफारिश स्वीकार की जाए और भोपाल को राजधानी बना दिया जाए। यह सूचना पाते मैं शुक्ल से मिला।
यद्यपि वे रायपुर के थे, तब भी उन्होंने राजधानी के संबंध में मेरी तथा जबलपुर के निवासियों की निराशा को समझा और कहा कि कम से कम हाईकोर्ट की स्थापना जबलपुर में होनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से बातचीत कर और अनुमति मिल जाने पर हाईकोर्ट के लिए आवश्यक साधन जुटाने का प्रयत्न प्रारंभ कर दिया।

ट्रेंडिंग वीडियो