भोपाल

स्पीड पर ब्रेक लगाने में पांच साल में तीन करोड़ खर्च, तीन माह में टूट जाते हैं ब्रेकर

प्लास्टिक के स्पीड ब्रेकर का सच

भोपालNov 09, 2018 / 01:26 am

Sumeet Pandey

स्पीड पर ब्रेक लगाने में पांच साल में तीन करोड़ खर्च, तीन माह में टूट जाते हैं ब्रेकर

देवेंद्र शर्मा भोपाल. शहर की सडक़ों पर आपके वाहनों की गति को थामने के लिए स्थापित प्लास्टिक के स्पीड ब्रेकर नगर निगम समेत सीपीए और पीडब्ल्यूडी अफसरों की कमाई का बड़ा जरिया बन गए हैं। स्पीड ब्रेकर की सालाना स्थापना को लेकर निकाली जानकारी के अनुसार हर साल शहर में 7500 रनिंग मीटर के नए ब्रेकर स्थापित किए जा रहे हैं। इन पर करीब 60 लाख रुपए का खर्च हो रहा है। बीते पांच साल में शहर में इन ब्रेकर पर तीन करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है। शहर में सडक़ निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदारी नगर निगम, सीपीए और पीडब्ल्यूडी से प्राप्त जानकारी के अनुसार चार से पांच माह में ही इन ब्रेकर को बदलने की जरूरत पड़ जाती है। हाल में लिंक रोड पर ब्रेकर टूट गए हैं और यहां नगर निगम नए ब्रेकर लगाने की कवायद कर रही है। स्थिति ये हैं कि बीते पांच साल में इन प्लास्टिक के ब्रेकर बनाने और शहर में इनका थोक कारोबार भी बढ़ गया है। इस समय इन प्लास्टिक के स्पीड ब्रेकर की बिक्री के लिए 20 होलसेल कारोबारी तैयार हो गए हैं।
बीआरटीएस के साथ शुरू हुआ कारोबार

बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम 2013 में शुरू हुआ और इसकी एंट्री पाइंट पर ये ब्रेकर स्थापित किए गए। इसके बाद लिंक रोड, होशंगाबाद रोड, रायसेन रोड, कोलार रोड समेत शहर के सभी प्रमुख मार्गों पर अलग-अलग एजेंसियों ने इनकी
स्थापना की।
ब्रेकर की कीलें पंक्चर कर रही हैं गाडिय़ां
प्लास्टिक के ये ब्रेकर चार से पांच माह में ही टूट रहे हैं। मोटी किलों से इन्हें सडक़ पर गाड़ा जाता है। अभी लिंक रोड पर गैमन इंडिया प्रोजेक्ट के सामने टूटे ब्रेकर देखेंगे तो पता चलेगा, ब्रेकर तो टूट गए, इनकी कील वाहनों के टायर में चुभकर उन्हें पंचर कर रही है।
 

कमाई के ब्रेकर

2013 रुपए प्रतिमीटर की दर
20 होलसेलर हो गए चार साल में इन ब्रेकर के
08 कंपनियां भोपाल में आपूर्ति करती है इन ब्रेकर की
7500 मीटर प्रतिवर्ष नए ब्रेकर की होती है खरीदी
 

थर्मोप्लास्टिक स्पीड ब्रेकर की बजाय रंबल स्ट्रिप की स्थापना करना चाहिए। ये वाहनों की गत 85 फीसदी तक कम कर देती है और दुर्घटना की आशंका भी नहीं रहती। अब क्यों लगातार थर्मोप्लास्टिक स्पीड ब्रेकर ही लगाए जा रहे, नहीं कह सकता।
आरके मेहरा, पूर्व सदस्य इंडियन रोड कांग्रेस
ये अपेक्षाकृत बेहतर ब्रेकर है, इससे बेहतर कोई मॉडल आएगा तो उसे अपना लेंगे, ये बड़ी बात नहीं है।
जवाहर सिंह, अधीक्षण यंत्री सीपीए
ये रूटीन प्रक्रिया है, टूटते हैं तो लगाने पड़ते हैं।
ओपी भारद्वाज, सिटी इंजीनियर नगर निगम

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