दरअसल, उन्होंने 21 सितंबर 2012 को महिंदा राजपक्षे (mahinda rajapaksa) मध्यप्रदेश के रायसेन जिले (raisen) में स्थित सांची स्तूप (sanchi stupa) आए थे। इस दौरान उन्होंने एक पहाड़ी पर एक पौधा रोपा था। सामान्य तौर पर यह पीपल का पेड़ है, लेकिन बौद्ध धर्म में इसका विशेष महत्व है। बौद्ध धर्म में इसे बोधि वृक्ष कहा जाता है। दरअसल ईसा से 531 वर्ष पूर्व बोधि वृक्ष के नीचे ही भगवान बुद्ध (bhagwan gautam buddha) को ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस वजह से बौद्ध अनुयाईयों के लिए यह पेड़ श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।
वीवीआईपी की तरह होती है सुरक्षा
इतना ही नहीं किसी वीआईपी (VVIP) की तरह ही इस पेड़ का मेडिकल चेकअप भी होता रहता है। इसकी सुरक्षा के लिए 15 फीट की ऊंचाई तक जालियां लगाई हुई हैं और इसके आसपास पुलिस के जवानों का घेरा बना रहता है। 24 घंटे यहां सुरक्षा में गार्ड तैनात रहते हैं। पानी के लिए भी एक टेंकर रहता है। सरकारी आकड़ों के अनुसार हर साल इस पेड़ पर करीब 12 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं।
बोधगया से लाए थे इसका पौधा
राजपक्षे बोधगया के बोधी वृक्ष की एक शाखा को लाए थे और उन्हें सांची के स्तूप के पास स्थित पहाड़ी पर रौपा था। यह उसी पेड़ की शाखा है जिसे नीचे बैठकर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।