भागवत : गिरीराज कोई पर्वत नहीं, यह साक्षात श्रीकृष्ण है
हलालपुर में श्रीमद् भागवत कथा

भोपाल/संत हिरदाराम नगर। सर्व ब्राह्मण साधु संत गौरक्षा उत्थान समिति के तत्वावधान में हलालपुर स्थित खाती धर्मशाला में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के पांचवें दिन कथा वाचक श्रीकृष्णशरण महाराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर चित्रण किया। श्रीकृष्णशरण महाराज ने कथा सुनाते हुए श्रद्धालुाओं से कहा कि आप एक बार वृंदावन जाकर बांके बिहारी का दर्शन करके आ जाओ तो आपको बार-बार वहां जाने की इच्छा जागृत होती रहेगी।
यह भगवान के नाम की शक्ति है। गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब तक धरा पर गीता, गंगा और गिरराज रहेंगे, तब तक कलिकाल का प्रभाव नहीं पड़ सकता। गिरीराज कोई पर्वत नहीं अपितु यह साक्षात श्रीकृष्ण हैं। कथा के दौरान बीच-बीच में भजनों की प्रस्तुतियों से सारा कथा पंडाल झूमने लगा। इन भजनों के दौरान बड़ी सं या में श्रोता भक्ति की मस्ती में चूर होकर थिरकते रहे, इस दौरान भगवान को 56 भोग लगाया गया।
सत्य ही सबसे बड़ा तप है : शास्त्री
नूरगंज में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पं. राजेंद्र प्रसाद शास्त्री ने कहा कि राजा हरिशचंद्र ने सत्य को अपने जीवन में धारण कर ईश्वर को प्राप्त किया था। सत्य और सच्चाई के मार्ग पर चलकर जनहित करने वाले मनुष्य को कई परेशानियां आती है, लेकिन इसके बाद भी जनहित में जुटे रहना ही प्रभू की सच्ची भक्ति है।
राजेंद्र शास्त्री ने कहा कि सत्य ही ईश्वर का स्वरूप है। सत्य को धारण करने से मनुष्य परेशान तो हो सकता है, लेकिन एक दिन वह इस जगत में सम्मान अवश्य पाता है। और सुखी होता है। शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से हमें यह ज्ञान होता है कि सुखी जीवन कैसे होता है। संसार का सुख तो जीवन को बिगाड़ता है और में रूलाता है। जड़ भरत की कथा सुनाते उन्होंने कहा कि भरत ने एक मृग के प्रेम में स्वयं मृग बने और अंत में दुखी ही रहे।
इसलिए हर नर-नारी को इस संसार में रहते हुए भी कुछ क्षण भगवान की कथा अवश्य सुनना चाहिए। भगवान शिव सब देवों के देव है वह भी भागवत कथा श्रवण करने संत आश्रम गए थे। शास्त्री ने कहा, कथा सुनने से बिगड़ा भाग्य सुधरता है। कथा परसराम नागर के परिवार की ओर से कराई जा रही है।
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