10 दिन पहले ही हुआ था निधन…
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का 19 जनवरी के दिन यानि शुक्रवार को 93 वर्ष की आयु में दिल्ली अस्पताल में निधन हो गया था। अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की तबियत पहले से खराब थी जिसके कारण उन्हें बुधवार को दिल्ली के संजयगांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का 19 जनवरी के दिन यानि शुक्रवार को 93 वर्ष की आयु में दिल्ली अस्पताल में निधन हो गया था। अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की तबियत पहले से खराब थी जिसके कारण उन्हें बुधवार को दिल्ली के संजयगांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बताया जा रहा है कि अध्यक्ष श्रीनिवास को सालों से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके चलते परीक्षण के लिए बीते बुधवार को अस्पताल ले जाया गया था, जहां पर चिकित्सकों ने भर्ती कर लिया था। जिसके बाद शुक्रवार की शाम 4 बजे congress leader shrinivas tiwari passed away in delhi अस्पताल में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का निधन हो गया।
व्हाइट टाइगर white tiger के नाम से थे मशहूर…
1980 और 90 के दशक में विंध्य की राजनीति व्हाइट टाइगर नाम से प्रसिद्ध श्रीनिवास तिवारी के इर्द-गिर्द घूमती थी। उनकी पहचान प्रदेश में एक दिग्गज नेता के रूप में होती थी।
1980 और 90 के दशक में विंध्य की राजनीति व्हाइट टाइगर नाम से प्रसिद्ध श्रीनिवास तिवारी के इर्द-गिर्द घूमती थी। उनकी पहचान प्रदेश में एक दिग्गज नेता के रूप में होती थी।
दिंगवत सीएम अर्जुनसिंह भी थे कायल…
इतने ही नहीं दिंगवत सीएम अर्जुनसिंह भी उनकी राजनीति के कायल थे। वहीं दिग्विजय सिंह- तिवारी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। उनके ही शासनकाल में वे मप्र विधानसभा के अध्यक्ष पर काबिज हुए। पहली बार उन्होंने विस अध्यक्ष के तौर पर विस में मार्शल का उपयोग किया। इसके बाद वे सख्त विस अध्यक्ष के रूप में जाने जाने लगे। तिवारी के कांग्रेसी ही नहीं बीजेपी में भी कई अच्छे मित्र हैं। इनमें सबसे पहला नाम वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का आता है।
इतने ही नहीं दिंगवत सीएम अर्जुनसिंह भी उनकी राजनीति के कायल थे। वहीं दिग्विजय सिंह- तिवारी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। उनके ही शासनकाल में वे मप्र विधानसभा के अध्यक्ष पर काबिज हुए। पहली बार उन्होंने विस अध्यक्ष के तौर पर विस में मार्शल का उपयोग किया। इसके बाद वे सख्त विस अध्यक्ष के रूप में जाने जाने लगे। तिवारी के कांग्रेसी ही नहीं बीजेपी में भी कई अच्छे मित्र हैं। इनमें सबसे पहला नाम वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का आता है।
1973 में हुए कांग्रेस में शामिल…
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने ही 1948 में समाजवादी पार्टी का गठन किया। जिसके बाद 1952 में समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बनकर विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। श्रीनिवास congress leader shrinivas tiwari जमींदारी उन्मूलन के लिए कई आंदोलन संचालित किए जिसमें कई बार उन्हे जेल भी जाना पड़ा।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने ही 1948 में समाजवादी पार्टी का गठन किया। जिसके बाद 1952 में समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बनकर विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। श्रीनिवास congress leader shrinivas tiwari जमींदारी उन्मूलन के लिए कई आंदोलन संचालित किए जिसमें कई बार उन्हे जेल भी जाना पड़ा।
सन् 1972 में समाजवादी पार्टी से मध्यप्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए। धीरे-धीरे उन्होंने राजनैतिक की ओर रूख करते हुए सन् 1973 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। जिसके बाद सन् 1977, 1980 और 1990 में विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
सन् 1980 में अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री भी बने। सन् 1973 से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रबंध समिति के सदस्य अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा की कार्य परिषद् में विश्वविद्यालय की स्थापना से ही कई बार सदस्य बने।
सन् 1990 से सन् 1992 तक मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे। बाद में सन् 1993 में विधान सभा सदस्य निर्वाचित होकर अक्टूबर 1993 से फरवरी 1999 तक मध्यप्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष रहे। 1998 में सातवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित होकर फरवरी, 1999 से 12 दिसम्बर, 2003 तक मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष पद पर रहे।