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locationभोपालPublished: May 14, 2023 08:47:41 pm

Submitted by:

yashwant janoriya

युद्ध के अंतिम दिनों की घटनाओं पर आधारित नाटक

‘अंधायुग’ का मंचन: हिंसा और आक्रामकता की राजनीति पर गहराई से विचार

युद्ध के अंतिम दिनों की घटनाओं पर आधारित नाटक

भोपाल. भारत भवन में रंग महिला नाट््य समारोह शुरू हुआ। पहले दिन एनएसडी के पूर्व निदेशक रामगोपाल बजाज के निर्देशन में धर्मवीर भारती लिखित नाटक ’अंधायुग’ का मंचन हुआ। एनएसडी की रंगमंडली ने करीब 20 वर्ष बाद इस नाटक का प्रदर्शन करना शुरू किया है। अब तक इसके 8 शो हो चुके हैं। दो घंटे दस मिनट के नाटक में 22 कलाकारों ने ऑनस्टेज अभिनय किया। एनएसडी रंगमंडल के गठन से पहले 8 अक्टूबर, 1963 को इसका मंचन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में किया गया था। ङ्क्षहसा और आक्रामकता की राजनीति पर गहराई से विचार करते इस नाटक में भव्य सेट और उम्दा एङ्क्षक्टग की बानगी देखने को मिली। पौराणिक कथा पर आधारित इस नाटक का हर पात्र ऐसा लग रहा था मानो वह उसी कालखंड की कथा कहने आया हो। पात्रों के मुखौटे और वेशभूषा भी दर्शक को उस युग कल्पनाओं से जोड़ रहे थे। पूर्वोत्तर की पहाड़ी राग और पारंपरिक धुनों से दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।
नाटक में युद्ध के अंतिम दिनों की घटनाओं पर आधारित

नाटक में दिखाया गया कि युद्ध से प्राचीरें खंडहर हो चुकी हैं। कुरुक्षेत्र लाशों और गिद्धों से ढका हुआ है। कौरव सेना के योद्धा शोक और क्रोध से भरे हैं। उस वक्त अश्वत्थामा की निंदा करने से इनकार कर देते हैं, जब वह ब्रह्मास्त्र छोड़ता है जो कि संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट कर सकता है। इसके बजाय वे युद्ध के लिए कृष्ण को दोष देते हुए उन्हें श्राप तक दे देते हैं। शांति सुनिश्चित करने में विफल होने के बावजूद कृष्ण पूरे नाटक में मौजूद हैं और नैतिकता की व्याख्या करते हैं।
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