प्रदेश स्तर का ये कंट्रोल कमांड सेंटर चौबीसों घंटे चालू रहता है। इसमें फोन की दस लाइनें हैं। यहां तीन शिफ्टों में लोग काम करते हैं।
तीन तरह के कॉल्स पर केद्रित है कॉल सेंटर काल सेंटर में सभी तरह की शिकायतों और समस्याओं को अटेंड किया जाता है। लेकिन जीवन रक्षक दवा, गंभीर बीमार और दूसरे राज्यों में फंसे हुए प्रदेश के लोगों को लाने में विशेश रूप से काम करता है। यह लोगों को पका हुआ भोजन, लॉक डाउन होने के चलते दुकानें बंद होने के कारण खाद्यान्न भी लोगों तक पहुंचाने का काम करता है। यह कार्य जिले स्तर तथा नगरीय निकाय तथा जनपद पंचायत स्तर पर बनाए गए काल सेंटर के जरिए लोगों तक तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम करता है।
कॉल सेंटर के बाहर आटोमैटिक सेनेटाजर लॉबी बनाई गई है। सेंटर में जाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को इसी से होकर गुजरना पड़ता है। इसके अलावा वहां दो अन्य कर्मचारी सेनेटाजर लेकर मुख्य द्वार पर खड़े रहते हैं, जो हाथों में सेनेटाजर का स्प्रे करते हैं। इसके साथ ही कॉल सेंटर पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जाता है। कर्मचारी मॉस्क लगाकर काम करते हैं। पेन और बाहर से आने वाले दस्तावेजों का भी सेनेटाइजेशन किया जाता है। दरवाजे, रेलिंग पर भी सेनेटाजर का स्पे्र किया जाता है।
टीवी स्क्रीन से शहर की निगरानी कमांड सेंटर पर 30 टीवी स्क्रीन लगाई गई हैं। इन स्क्रीनों के माध्यम से भोपाल शहर में लगाए गए कैमरों से 24 घंटे निगरानी की जा रही है। स्क्रीन से ही लॉक डाउन का उल्लंघन, लोगों तथा वाहनों की भीड़ के संबंध में क्षेत्र के पुलिस और प्रशासन को उनके मोबाइल पर सूचना भेजी जाती है। दस टीवी स्क्रीन पर निगरानी रखने के लिए एक आपरेटर की ड्यूटी लगाई गई है।