दरअसल सोशल मीडिया पर ठग इन दिनों आर्मी के नाम का इस्तेमाल करने लगे हैं। आर्मी का नाम सुनकर लोगों को भरोसा जल्दी हो जाता है। इसलिए ठगों ने इसे जरिया बना लिया है। इसे लेकर पत्रिका ने पड़ताल की तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। दूसरी बार में जब ठग से बात की तो उसने शहर भी दूसरा बताया।
पत्रिका पड़ताल: आर्मी ट्रक से भेज दूंगा सामान-
संदीप रावत नाम के शख्स ने फेसबुक पर घरेलू सामान की फोटो और रेट लिस्ट डाल रखी थी। लिखा था- ट्रांसफर होने से अर्जेंट में बेचना है। नंबर 7735097686 भी था।
संदीप रावत नाम के शख्स ने फेसबुक पर घरेलू सामान की फोटो और रेट लिस्ट डाल रखी थी। लिखा था- ट्रांसफर होने से अर्जेंट में बेचना है। नंबर 7735097686 भी था।
रिपोर्टर: हेलो, फेसबुक पर एड देखा था, सामान चाहिए था। जयपुर में रहता हूं।
ठग: मैं सीआइएसएफ में जयपुर एयरपोर्ट पर हूं। कोलकाता ट्रांसफर हो गया। सामान बेचना है।
रिपोर्टर: मुझे जयपुर में सामान कैसे मिलेगा।
ठग: मैं एयरपोर्ट पर हूं, यहां आमजन की एंट्री नहीं है। सामान घर आर्मी के ट्रक से पहुंच जाएगा। आपको पेमेंट ऑनलाइन देना होगा।
रिपोर्टर: मुझे पहले सारा सामान देखना है।
ठग: पूरा सामान ओके कंडीशन में है। आपको अभी 20 प्रतिशत एडवांस देना है। सामान पसंद नहीं आया तो पैसे वापस हो जाएंगे।
ठग: मैं सीआइएसएफ में जयपुर एयरपोर्ट पर हूं। कोलकाता ट्रांसफर हो गया। सामान बेचना है।
रिपोर्टर: मुझे जयपुर में सामान कैसे मिलेगा।
ठग: मैं एयरपोर्ट पर हूं, यहां आमजन की एंट्री नहीं है। सामान घर आर्मी के ट्रक से पहुंच जाएगा। आपको पेमेंट ऑनलाइन देना होगा।
रिपोर्टर: मुझे पहले सारा सामान देखना है।
ठग: पूरा सामान ओके कंडीशन में है। आपको अभी 20 प्रतिशत एडवांस देना है। सामान पसंद नहीं आया तो पैसे वापस हो जाएंगे।

ठग: वॉट्सऐप पर डिटेल भेज दो और आगे की बात वॉट्सऐप कॉल से करेंगे। दूसरी बार: जयपुर से भोपाल का निवासी हो गया संदीप-
बातचीत के बाद संदीप (ठग) ने अकाउंट डिटेल भेजी। इसमें नाम धनपति नायक और बैंक इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की डिटेल थी।
रिपोर्टर ने दूसरे नंबर से फोन किया और खुद को भोपाल का बताया, तो संदीप ने कहा कि वह भोपाल में है और उसका ट्रांसफर हो गया है। यानी पूरी वैसी ही बात दोहराई। सिर्फ पोस्टिंग की लोकेशन बदल दी।
एक्सपर्ट व्यू: ठगी का ये चलन हमेशा से है। सतर्कता जरूरी है। सस्ते के लालच में किसी से ऑनलाइन खरीद-फरोख्त न करें। ऐसे लोगों को ट्रैस करना मुश्किल होता है। ऐसे व्यक्ति अकाउंट भी किसी फर्जी दस्तावेज से संचालित कर रहे होते हैं।
- योगेश देशमुख, एडीजी, राज्य साइबर सेल