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गौर ने स्वीकार किया ‘आडवाणी’ बनना पर सरताज सिंह का सीधा इंकार

locationभोपालPublished: Nov 11, 2018 03:37:39 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

गौर ने स्वीकार किया ‘आडवाणी’ बनना पर सरताज सिंह का सीधा इंकार

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गौर ने स्वीकार किया ‘आडवाणी’ बनना पर सरताज सिंह का सीधा इंकार

भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हालांकि इस दौरान कई नेता बागी हो गई तो कई नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़कर दूसरे दल का दामन थाम लिया। दोनों ही दलों में बागियों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को हुआ। भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह इस चुनाव में कांग्रेसी हो गए। उन्होंने भाजपा में अगला लालकृष्ण आडवाणी होने से इंकार कर दिया और विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के खिलाफ मैदान में उतर गए। चारों ओर से विरोध के बीच भाजपा के कई नेता बागी हुए। बाबूलाल गौर की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने उनकी बहू कृष्णा गौर को गोविंदपुरा से मैदान में उतरा पर भाजपा सरताज सिंह को मनाने में नाकाम रही।
आडवाणी बनने को तैयार हुए बाबूलाल गौर: 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से बगावत का झंडा पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने उठा रखा था। लेकिन गोविंदपुरा विधानसभा सीट से कृष्णा गौर को टिकट मिलने के बाद बाबूलाल गौर से बगावत का झंड़ा छोड़कर खुद का लालकृष्ण आडवाणी बनना स्वीकार कर लिया। उमा भारती के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने बाबूलाल गौर ने 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने राजनीतिक संन्यास ले लिया। बाबूलाल गौर ने अपनी राजनीतिक विरासत बहू को सौंप कर सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। लेकिन उनके साथी सरताज सिंह ने बगावत नहीं छोड़ अगर कुछ छोड़ा तो पार्टी का साथ उस पार्टी का साथ जिससे वो करीब 60 सालों तक जुड़े रहे।
ऐसा नहीं है कि उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की गई लेकिन सरताज नहीं माने आर बगावत का झंडा बुलंद रखा और मुख्यमंत्री से लेकर सभी की मान—मनुहार को दरकिनार कर दिया। संगठन के कहने पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले सरताज आखिर क्यों नहीं माने माने? ये वही सरताज सिंह है जिन्होंने 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह को हराया था। आज वही सरताज भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद सरताज ने कई बार भाजपा के 75 साल के फार्मूले पर सवाल उठाए पर उनकी आवाज भाजपा संगठन तक नहीं पहुंची। यहीं से वो भूमिका तैयारी हो गई थी जिसे कहा जा सकता है कि भाजपा ने इने इस सीनियर नेता से किनारा करना शुरू कर दिया था।

क्यों नहीं मिला टिकट
भाजपा के 75 साल के फार्मूले पर कई बार सवाल उठाने के बाद सरताज सिंह पारटी और संगठन के खिलाफ हमले करने लगे थे। भाजपा की पहली लिस्ट में सरताज सिंह का नाम नहीं होने के बाद तो उन्होंने भाजपा के मिशन 200 का महज एक नारा कहा था। उन्होंने कई बार शिवराज सिंह की सरकार पर हमले किए। टिकट नहीं मिलने का दूसरा कारण सरताज की उम्र भी थी पर सियासत में उम्र कोई सीमा नहीं होती है। सरताज सिंह के निशाने पर सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे।
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