प्रेम और अपनेपन के दो पायों पर खड़े पति-पत्नी
प्रेम और अपनेपन के दो पायों पर खड़े पति-पत्नी के रिश्तों के ताने-बाने में बुनी कहानी में पति ज्ञान, पत्नी छाया और उनके दोस्त जयंत केंद्रीय पात्र हैं। ज्ञान ड्रामा टीचर है तो छाया थिएटर आर्टिस्ट, वहीं जयंत एक लेखक है। एक कहानी को पूरा नहीं कर पा रहा जयंत कहानी को खत्म करने में अपनी मित्र छाया की मदद मांगता है। वहीं वैवाहिक जीवन में संतान न होने से दुखी ज्ञान कहता है कि शादी के पांच साल बाद भी वह पिता नहीं बन पाया।
हादसे में ज्ञान खो देता है अपना पुरुषत्व
नाटक की कहानी में आगे दूसरी शादी का दबाव बनाते ज्ञान से छाया प्रेम की मांग करती है। इसी बीच एक हादसे में ज्ञान अपना पुरुषत्व खो देता है। बदले हालात में छाया कहती है वह मां तो बनना चाहती है लेकिन उसे अजन्मी संतान से ज्यादा पति से प्यार है। ज्ञान, छाया को तलाक लेने को कहता हैए लेकिन छाया इससे इनकार करती है और तलाक के कागजात फाड़ देती है। जयंत परेशान छाया को नौकरी दिलाता है। वहीं, ज्ञान जयंत को छाया से शादी के लिए कहता है।