चार घंटे रेगुलर बेसेस पर सेल्फ स्टडी करती थी
सौम्या शुक्ला
एआईआर- 126
टोटल- 720 में से 696 अंक
मैं हर दिन स्कूल की पढ़ाई के अलावा चार घंटे की कोचिंग करती थी। साथ ही चार घंटे रेगुलर बेसेस पर सेल्फ स्टडी करती थी। इस दौरान एनसीईआरटी की बुक्स से बेसिस्क तैयार किए। साथ ही स्टैंडर्ड बुक्स से पढ़ाई की। कोचिंग के मटेरियल का इस्तेमाल किया। लॉकडाउन के दौरान घर में बैठकर तैयारी करने का फायदा मिला है। मैं अपनी रैंक से संतुष्ठ हंू लेकिन मैं टॉप 100 में शामिल होना चाहती थी। अब मैं कार्डिया या न्युरोसर्जन की स्टडी की पढ़ाई करना चाहती हूं जिसके लिए मेरी प्रायटरी एम्स भोपाल रहेगी। मैंने इसी साल 12वीं सीबीएसई में सिटी टॉप किया था। कोरोना काल में स्टे्रस दूर करने के लिए डांस करती थी। इसके साथ ही स्टैंडअप कॉमेडी देखती थी। मेरे घर में कोई डॉक्टर नहीं है। मेरे पिता बीएचईएल में अपर महाप्रबंधक हैं। जबकि मां एलआईसी में एचजीए हैं। मैं डॉक्टर बनकर उनका सपना पूरा करना चाहती हूं।
गौरी असनानी
एआईआर – 264
टोटल-690/720
मेरे परिवार में सभी इंजीनियर्स हैं। पापा भी भेल में इंजीनियर हैं। मैंने 8वीं से जेईई की तैयारी शुरू कर दी थी। मां की तबियत खराब रहती है तो मैंने एमबीबीएस की फील्ड में जाने का निर्णय लिया। 11वीं से मेडिकल की पढ़ाई शुरू की। मुझे कम्प्यूटर साइंस पसंद नहीं था, हालांकि मेरे हमेशा अच्छे नम्बर आते थे। मैंने लगातार टेस्ट सीरीज दी। सेल्फ नोट्स बनाती थी। टेस्ट में यदि किसी टॉपिक में गलती होती तो उसे रिवाइज करती थी। मुझे बायो और इनऑर्गेनिक केमेस्ट्री टफ लगता था, इसके फैक्ट्स को लिख-लिखकर याद करती थीं। मुझे अंडर-50 में आने की उम्मीद थी। हालांकि इस बार कटऑफ हाई रहा है। मैंने दो सालों तक कभी अपने पास सेलफोन भी रखा। बोरियत दूर करने के लिए म्यूजिक सुनती थी।