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पत्रिका सर्वे: 78 प्रतिशत छात्रों की राय- कॉलेजों में सीधे मतदान से हों चुनाव

locationभोपालPublished: Aug 27, 2019 09:52:32 am

“स्टूडेंट करे मन की बात”
32 साल से नहीं हो रहे छात्रसंघ के लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव…

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भोपाल। मध्य प्रदेश में छात्र अपने कॉलेजों में छात्रसंघ के चुनाव मतदान के जरिए लोकतांत्रिक तरीके से कराए जाने के पक्षधर हैं। पत्रिका की ओर से पूरे प्रदेश में छह बिंदुओं पर 5000 छात्रों के सर्वे में सामने आया कि 78.30 प्रतिशत चाहते हैं कि अप्रत्यक्ष प्रणाली की बजाय सीधे मतदान कराकर छात्रसंघ पदाधिकारी चुनने का हक मिलना चाहिए।?
प्रदेश में आखिरी बार प्रत्यक्ष प्रणाली से 1987 में छात्रसंघ चुनाव हुए थे। इसके बाद से अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए गए या फिर चुनाव ही टाल दिए गए। सर्वे में 69.78 फीसदी छात्रों ने माना कि युवाओं को राजनीति में भी कॅरियर देखना चाहिए।
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साफ जाहिर है कि राजनीति के प्रति युवाओं में दिलचस्पी बढ़ रही है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि छात्रसंघ के प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होने से प्रदेश में युवा नेतृत्व की कमी खल रही है। अभी ज्यादातर नेता पुत्र ही राजनीति में आ रहे हैं, जो समग्र रूप से अच्छे संकेत नहीं हैं।
अभी तक यह हो रहा
अभी अप्रत्यक्ष प्रणाली में छात्र कक्षा प्रतिनिधि चुनते हैं। कक्षा प्रतिनिधि अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का निर्वाचन करते हैं। बीच में यह हुआ कि ज्यादा अंक लाने वाले छात्र कक्षा प्रतिनिधि बनेंगे और नेता चुनेंगे।?
अब यह होना चाहिए
प्रत्यक्ष प्रणाली में छात्रसंघ अध्यक्ष और उनकी पूरी परिषद के चुनाव सीधे मतदान से होते हंै। प्रत्येक छात्र को कक्षा प्रतिनिधि से लेकर अध्यक्ष, सचिव व अन्य प्रतिनिधि चुनने का हक मिलता है।
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तीन दशक से नहीं हो रहे सीधे चुनाव
मध्यप्रदेश में वोटिंग के जरिए छात्रसंघ चुनाव तीन दशक से बंद है। 1987 में आखिरी बार वोटिंग से चुनाव हुए थे। फिर 1994 तक अप्रत्यक्ष पदाधिकारी चुने गए। 2003 में रोक लग गई। 2005 में मेरिट से चुनाव हुए। 2007 में उज्जैन में सभरवाल कांड से रोक लगा दी गई। 2011, 2012 व 2017 में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए। 2018 में टल गए।
1984- 85 में हमीदिया कॉलेज का अध्यक्ष रहा हंू। प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव होना चाहिए। तरीका बदला जा सकता है। मैंने मंत्री रहते हुए वोटिंग से सीधे चुनाव कराने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाया।
– दीपक जोशी, पूर्व मंत्री
लोकतांत्रिक व्यवस्था में अच्छे नेताओं की जरूरत है। यह सिर्फ प्रत्यक्ष प्रणाली के छात्रसंघ चुनाव से ही संभव है। मैं प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव लड़ चुका हूं। इनमें राजनीतिक दखल न हो।?
– जगदीश उपासने, पूर्व कुलपति

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