23.52 फीसदी की दर से दूर हो रही शिकायतें
आंकड़ों के अनुसार अभी 23.52 फीसदी प्रतिमाह की दर से शिकायत निवारण हो रहा है। कंपनी के कॉल सेंटर पर अब तक कुल 18.82 लाख शिकायतें पहुंच चुकी हैं। फिलहाल कंपनी क्षेत्र में इस संपर्क माध्यम से 2891 शिकायत प्रतिमाह का औसत है, जिसमें से 680 शिकायतें निराकृत हो रही हैं।
शिकायत दूर करने ये हैं सिस्टम
23 जोन कार्यालयों पर प्रति जोन एक इनकमिंग कॉल वाला फोन व नंबर दिया हुआ है। कॉल सेंटर पर दर्ज शिकायत इस नंबर पर तुरंत फॉरवर्ड हो जाती है। शिकायत दर्ज होने के बाद तय समय सीमा में उसके उच्चाधिकारियों तक पहुंचने की प्रक्रिया तय है। इससे जवाबदेही तय की जा सकती है।
आंकड़ों के अनुसार अभी 23.52 फीसदी प्रतिमाह की दर से शिकायत निवारण हो रहा है। कंपनी के कॉल सेंटर पर अब तक कुल 18.82 लाख शिकायतें पहुंच चुकी हैं। फिलहाल कंपनी क्षेत्र में इस संपर्क माध्यम से 2891 शिकायत प्रतिमाह का औसत है, जिसमें से 680 शिकायतें निराकृत हो रही हैं।
शिकायत दूर करने ये हैं सिस्टम
23 जोन कार्यालयों पर प्रति जोन एक इनकमिंग कॉल वाला फोन व नंबर दिया हुआ है। कॉल सेंटर पर दर्ज शिकायत इस नंबर पर तुरंत फॉरवर्ड हो जाती है। शिकायत दर्ज होने के बाद तय समय सीमा में उसके उच्चाधिकारियों तक पहुंचने की प्रक्रिया तय है। इससे जवाबदेही तय की जा सकती है।
72 कॉलोनियों में अब तक बिजली का अस्थायी कनेक्शन
भोपाल. अवैध कॉलोनियों में बिना पर्याप्त विकास कार्यों के बसना किस तरह महंगा साबित होता है बिजली कंपनी के एक सर्वे में ये सामने आ रहा है। कंपनी ने भोपाल में 72 ऐसी कॉलोनियां चिह्नित की हैं जहां वह अस्थायी कनेक्शन देती है। इसका चार्ज सामान्य कनेक्शन की दर से करीब दोगुना होता है। प्रेमनगर, नवदूरसंचार कॉलोनी, वल्लभ नगर जैसी ये कॉलोनियां खेतों में बसा दी गई थीं। यहां बिजली अधोसंरचना का कोई काम नहीं किया गया। इक्का दुक्का लोग रहने आए तो पास की कॉलोनी या यहां से गुजर रही लाइन से अस्थायी कनेक्शन ले लिया। अधूरी बिजली अधोसंरचना के चलते कंपनी इन्हें स्थायी कनेक्शन नहीं दे सकती। नतीजतन ये अब तक अस्थायी कनेक्शन की बिजली दर करीब 12 रुपए प्रतियूनिट के अनुसार जमा कर रहे हैं। अस्थायी कनेक्शन का टैरिफ 8.30 रुपए प्रतियूनिट तय है, जबकि एक किलोवॉट पर 300 रुपए अतिरिक्त बनते हैं। चार्ज मिलाकर एक यूनिट 12 रुपए से भी अधिक हो जाती है। यानि सामान्य कॉलोनी में 100 यूनिट खर्च पर जहां 700 रुपए तक बिल बनता है, इनको इतनी की बिजली खर्च के लिए 1200 रुपए से अधिक राशि जमा करना पड़ रही है। सीजीएम एके खत्री के अनुसार ऐसी कॉलोनियों से डेवलपमेंट चार्ज लेकर अधोसंरचना मजबूत करने की कवायद कर रहे हैं।
भोपाल. अवैध कॉलोनियों में बिना पर्याप्त विकास कार्यों के बसना किस तरह महंगा साबित होता है बिजली कंपनी के एक सर्वे में ये सामने आ रहा है। कंपनी ने भोपाल में 72 ऐसी कॉलोनियां चिह्नित की हैं जहां वह अस्थायी कनेक्शन देती है। इसका चार्ज सामान्य कनेक्शन की दर से करीब दोगुना होता है। प्रेमनगर, नवदूरसंचार कॉलोनी, वल्लभ नगर जैसी ये कॉलोनियां खेतों में बसा दी गई थीं। यहां बिजली अधोसंरचना का कोई काम नहीं किया गया। इक्का दुक्का लोग रहने आए तो पास की कॉलोनी या यहां से गुजर रही लाइन से अस्थायी कनेक्शन ले लिया। अधूरी बिजली अधोसंरचना के चलते कंपनी इन्हें स्थायी कनेक्शन नहीं दे सकती। नतीजतन ये अब तक अस्थायी कनेक्शन की बिजली दर करीब 12 रुपए प्रतियूनिट के अनुसार जमा कर रहे हैं। अस्थायी कनेक्शन का टैरिफ 8.30 रुपए प्रतियूनिट तय है, जबकि एक किलोवॉट पर 300 रुपए अतिरिक्त बनते हैं। चार्ज मिलाकर एक यूनिट 12 रुपए से भी अधिक हो जाती है। यानि सामान्य कॉलोनी में 100 यूनिट खर्च पर जहां 700 रुपए तक बिल बनता है, इनको इतनी की बिजली खर्च के लिए 1200 रुपए से अधिक राशि जमा करना पड़ रही है। सीजीएम एके खत्री के अनुसार ऐसी कॉलोनियों से डेवलपमेंट चार्ज लेकर अधोसंरचना मजबूत करने की कवायद कर रहे हैं।