scriptटी—1 बाघिन को बचाने सुप्रीम कोर्ट में हो रही दया याचिका पर सुनवाई | submit PLI for save tiger | Patrika News

टी—1 बाघिन को बचाने सुप्रीम कोर्ट में हो रही दया याचिका पर सुनवाई

locationभोपालPublished: Sep 12, 2018 07:43:11 am

Submitted by:

harish divekar

प्रयत्न एनजीओ के अजय दुबे और दिल्ली के सेव टाइगर कैंपेन के सिमरत संधू ने दायर की

T-78 tigers

T-78 tigers in sawaiomadhopur

महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पंढारवाड़ा में खतरनाक बाघिन (टी1) को जान से न मारने के लिए पशु अधिकार और वन्य जीव कार्यकर्ता आगे आए हैं। इन्होंने बाघिन को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका तक दायर की है। यह दया याचिका प्रयत्न एनजीओ के अजय दुबे ओर दिल्ली के सेव टाइगर कैंपेन के सिमरत संधू ने बाघिन टी1 की ओर से सीजेआई दीपक मिश्रा और जज मदन लोकुर और केएम जोसेफ के समक्ष पेश की है। मामले में सुनवाई मंगलवार यानि आज चल रही है।

दोनों याचिकाकर्ताओं के लिए वकील न्यायमूर्ति लोकुर के सामने अपना पक्ष रखा है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी वन्य जीव को बचाने के लिए कोई सुप्रीम कोर्ट तक गया है। प्रयत्न संस्था के दुबे ने बताया कि विकास के नाम पर जंगल काटे जा रहे हैं, जंगलों में शाकाहारी वन्य प्राणी कम होने से भोजन की तलाश में बाघ गांवों में आने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें आदमखोर कहकर मारना उचित नहीं है।

13 ग्रामीणों को शिकार बना चुकी है बाघिन
बताया जा रहा है कि 1 जून 2016 से लेकर इस साल 28 अगस्त तक पंढारवाड़ा के रालेगांव तहसील में इस बाघिन ने करीब 13 ग्रामीणों का शिकार कर उन्हें अपना निवाला बनाया। यह सभी मौतें जंगली इलाकों से सटे ग्रामीण इलाकों में चरवाहों के साथ हुई। हालांकि महाराष्ट्र वन विभाग के पास इस संबंध में कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि टी 1 ने 13 लोगों का शिकार किया है।

बाघिन को मारने का तत्कालिक आदेश 4, 11 और 28 अगस्त को तीन ग्रामीणों की मौत के बाद लिया गया। इनको मारने के लिए हैदराबाद के शिकारी नवाब शफत अली खआन और उनकी टीम को बुलाया गया है। ग्रामीणों की मौत के लिए बाघिन और उसके 8 महीने के दो शावक को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके अलावा एक बाघ (टी-2) भी वहीं रहता है।

 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो