दादाजी ने जगाई गणित में रुचि
नरसिंहपुर में शहीद भगत सिंह बाग में पान की दुकान चलाने वाले संतोष चौरसिया के इकलौते बेटे श्रेयांस ने 10 वीं कक्षा में आते तक राजधानी की शक्ल भी नहीं देखी थी। पिता 12 से 14 घंटे दुकान पर बैठते, लेकिन पढ़ाई का महत्व समझाया दादा कैलाश ने। श्रेयांस बताते हैं, दादाजी शिक्षक थे, 10 वीं में 94 फीसदी अंक आए इसके बाद इंजीनियरिंग करने का विचार आया। सुपर 100 में दो साल यहां रहकर पढ़ाई की और बिना गैप लिए जेईईई एडवांस में सफलता पाई। श्रेयांस के 12 वीं में भी 92 फीसदी अंक आए हैं।
भोपाल आने के बाद मिली दिशा
बैतूल से चिचोली मार्ग पर स्थित हर्रावाड़ी गांव में रहने वाले उदित ततिसर, अपने पढ़ाई में तो होशियार थे, लेकिन गांव में स्कूल ही नहीं था। लगन देखकर पिता धारा सिंह ने उदित को पांच किमी दूर एक निजी स्कूल भेजना शुरू किया। उदित का कहना है, कि मैं पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन क्या बनूंगा यह सोचा नहीं था। 11 वीं में उत्कृष्ट विद्यालय में सुपर 100 में चयन हो गया, इसके बाद इंजीनियरिंग में रुचि जागना शुरू हुई। जेईईई एडवांस में कैटेगरी में 3700 रैंक आई है। उदित बताते हैं, कि एयरोस्पेस ब्रांच में एडमिशन लेना चाहते हैं।