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Success Story: 24 साल बाद एक मां ने उठाई किताब, 12वीं में हासिल किए 78.8 फीसदी अंक

locationभोपालPublished: Aug 03, 2020 05:48:21 pm

Submitted by:

Manish Gite

सकारात्मक संदेश यह है कि जिन्दगी में कुछ करने के लिए कभी देरी नहीं करना चाहिए…।

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kiran batra

 

 

भोपाल। किरण बत्रा (kiran batra) की कहानी ऐसी महिलाओं के लिए प्रेरणा देती है, जिन्हें उम्र निकल जाने का हवाला देकर आगे बढ़ने से रोक दिया जाता है। भोपाल की रहने वाली 46 वर्षीय किरण ने 1994 में दसवीं की परीक्षा पास की थी, लेकिन पारिवारिक स्थिति को देखते हुए उनकी पढ़ाई बंद करवा दी गई। दो-तीन साल बाद शादी हो गई और जिम्मेदारियों के बीच पढ़ने का मौका नहीं मिला।

 

किरण बताती हैं कि हमारे यहां शादी के बाद सरनेम के साथ नाम भी बदल जाता है, तो उनका नाम भी रेखा लालवानी से किरण बत्रा हो गया। किरण की दो बेटियां हैं निहारिका और महक। उनकी परवरिश व करियर आगे बढ़ाने में वह अपनी इच्छा भूल गईं, लेकिन पढ़ने की ललक थी और उनकी सहेली दीपिका भारद्वाज और भांजे सौरभ वाधवानी ने उन्हें आगे पढ़ने और बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

 

26 जुलाई 2019 को जब उन्होंने मध्यप्रदेश बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का फॉर्म भरा तो उनकी आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे। जब उन्होंने पति से 12वीं करने की इच्छा जताई, तो उन्होंने कहा कि अब क्या करोगी पढ़कर, लेकिन किरण अपने फैसले पर अडिग रहीं और हाल ही में 12वीं बोर्ड की परीक्षा 78.8 प्रतिशत अंकों के साथ पास की।

 

छोटे बच्चों के साथ दी परीक्षा :-:

किरण कहती हैं कि उनकी छोटी बेटी ने पेपर देने के बाद उनसे पूछा- मम्मा आपको छोटे बच्चों के साथ पेपर देने में अजीब नहीं लगा, तो उन्होंने जवाब दिया कि जब कोई मेरी पढ़ाई के बारे में पूछता था और मैं 10वीं पास बताती थी तो शर्म आती थी, लेकिन फिर सोचा पढ़ने में शर्म कैसी? इसके बाद अब किरण बीए और फिर एमए करने का मन बना चुकी है।

 

 

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बस यही बात बुरी लग गई थी :-:

मैं एक सर्टीफिकेट कोर्स करने गई तो वहां मुझसे 12वीं की मार्कशीट मांगी गई। उस वक्त मुझे बहुत बुरा लगा और मैंने सोचा कि कुछ भी हो, अब पढ़ाई तो करनी ही है। बोर्ड की परीक्षा में 78.8 प्रतिशत अंक मिले हैं। चार विषयों में डिस्टिंगशन (विशेष योग्यता) भी मिली है। मेरी खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहा।

 

अकेले भी बढ़ सकते हैं आगे :-:

पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, आप जब चाहें, जहां चाहें अपनी राहें खोल सकते हैं। एक महिला तो हर कदम पर इम्तिहान देती है, तो फिर पढ़ाई से कैसा घबराना? कोई साथ न दे तो भी अकेले आगे बढ़ते चलो, जब आप सफल होंगे तो लोग खुद-ब-खुद आपके साथ आगे बढ़ते जाएंगे।

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