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WOMEN’S DAY SPECIAL : फ्लाइंग गर्ल की SUCCESS STORY, जिसकी तारीफ करता है आसमान, देखें वीडियो

locationभोपालPublished: Mar 08, 2018 01:05:38 pm

Submitted by:

rishi upadhyay

महिला दिवस पर पत्रिका मध्यप्रदेश अवनि को उनकी उपलब्धि, जांबाज़ी और बुलंद हौसले के लिए सलाम करता है।

avni chaturvedi

भोपाल। बचपन में पक्षियों को खुले आसमान में उड़ते देखते हुई बड़ी हुई अवनि का सपना था कि वे भी इसी तरह आसमान उड़ान भरें और उनकी इसी जिद्द ने उन्हे देश की पहली फाइटर पायलट बना दिया। 8 मार्च को सभी महिला दिवस सेलिब्रेट कर रहे है इस मौके पर पत्रिका आपको बता रहा देश की पहली महिला पायलट के बारे में।


अवनि ने जब एयरफोर्स ज्वाइन की तब महिलाओं के लिए फाइटर स्ट्रीम में जाने का प्रोविजन नहीं था। लेकिन बाद में एयरफोर्स ने महिलाओं को फाइटर स्ट्रीम में लेने का फैसला लिया। अवनि ने तभी सोच लिया था कि फाइटर पायलट बनना है। जब उनसे पूछा गया कि उनका पहला अनुभव कैसा रहा तो उनका कहना था कि हम मिशन के लिए ट्रेनिंग लेते हैं। कई तरह के परीक्षणों से रोज गुजरते हैं। सोलो उड़ान से पहले की प्रशिक्षण उड़ानों में हम इस पूरी तैयारी से गुजर चुके थे। हां, अकेले प्लेन चलाने का एक्साइटमेंट जरूर था।

 

कम्प्यूटर इंजीनियर से फाइटर पायलट बनने तक का अवनि का सफर दिलचस्प है। अभी तक इस बारे में परिवार को भी नहीं पता था। डेढ़ साल तक हैदराबाद में चल रही ट्रेनिंग के दौरान अवनि चतुवेर्दी हेलीकाप्टर और ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम ही उड़ा रही थीं। लेकिन परीक्षण के दौरान सामने आई उनकी कुशलता और अन्य पायलटों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन एक नया मौका बनकर आया

 

मध्यप्रदेश से है इस वंडर गर्ल का नाता
अवनि मध्यप्रदेश के रीवा जिले से है। अवनि की स्कूलिंग मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के देवलांद से हुई है। वहीं अवनि ने राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और साल 2014 में यहीं से बीटेक की पढाई की है। साथ ही 2014 में ही अवनि ने एयरफोर्स का एग्जाम भी पास किया था।

 

बस आगे ही बढ़ने की धुन सवार
अध्ययन और सीखने की धुन अवनि में बचपन से ही रही है। उनके पिता दिनकर प्रसाद चतुवेर्दी जल संसाधन विभाग में कार्यपालन यंत्री हैं। वे अभी रीवा में पदस्थ हैं। जबकि मां सविता चतुवेर्दी गृहणी हैं। मूलत: सतना निवासी चतुवेर्दी की अधिकतर समय पदस्थापना बाणसागर परियोजना के बांध स्थल देवलौंद में रही है। इसलिए अवनि ने 12 तक पढ़ाई वहीं की। इसके बाद ज्ञानस्थली राजस्थान से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक किया। कुछ समय तक उन्होंने आईबीएम कम्पनी में काम कर रही थीं, तभी वायुसेना में के लिए आवेदन किया। ट्रेनिंग में चयनित होने के बाद हैदराबाद चलीं गईं। उसने साथ की दो अन्य पायलटों की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है।


कल्पना चावला हैं आदर्श
अवनि के पिता ने बताया कि वह बचपन से कल्पना चावला की फैन रही है। जब भी टीवी या अखबार में उनके बारे में कुछ भी प्रकाशित होता तो वह बड़े ध्यान से जानकारी लेती थी। वह अक्सर कहती थी कि कड़ी मेहनत से ऐसे मुकाम हासिल कर सकती है। उसने कमरे में कल्पना की कई तस्वीरें भी लगा रखी हैं।

 

भाई से मिली प्रेरणा
दिलचस्प संयोग है कि अवनि के भाई नीरभ भी सेना में कैप्टन हैं। उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने वायुसेना में जाने का मन बनाया। अवनि ने पेंटिंग में बेहतर नाम कमाया है। सिविल लाइन स्थित अफसर कॉलोनी के घर में भी उसकी पेंटिंग कला के नमूने हैं, जहां पर उसने कई तस्वीरें बना रखी है। उन्हीं पेंटिंग में वायुसेना के फाइटर प्लेन भी रहे हैं।

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