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भोपाल

ऐसे बेटियां जिन्होंने जज्बे, जुनून और लगन से दुनिया में कमाया नाम

माता-पिता के नक्शे कदम पर चलकर बेटियों ने पाई सफलता

भोपालSep 26, 2021 / 10:56 pm

mukesh vishwakarma

ऐसे बेटियां जिन्होंने जज्बे, जुनून और लगन से दुनिया में कमाया नाम

ऐसे बेटियां जिन्होंने जज्बे, जुनून और लगन से दुनिया में कमाया नाम

भोपाल. आज हमारी बेटियां हर क्षेत्र में अपना लौहा मनवा रही हैं। देश की संस्कृति और परंपरा को दुनिया में नई पहचान दिया रही हैं। आज डॉटर्स डे के अवसर पर हमने शहर की उन बेटियों को ही तलाशा है जो अपने माता-पिता की कला को ही जीवन में उतारा और आगे बढ़ी हैं। इसमें वो बेटियां हैं जो खेल, शास्त्रीय गायन, नृत्य और फोटोग्राफी आदि क्षेत्रों में अपने पिता-माता की पहचान बनीं हैं। इन बेटियों पर उन्हें गर्व और गुरुर भी हो रहा है। इन्होंने अपनी माता-पिता से मोटिवेशन प्राप्त किया है। उनके ही नक्शों कदम पर चल रही हैं।

पिता-पुत्री हैं अंतराष्ट्रीय सेलर
अर्जुन अवार्डी सेलिंग कोच, हमारी मप्र की इकलौती पिता-पुत्री की जोड़ी हैं, जिन्होंने खेलों में विशिष्ट योगदान के लिए एकलव्य, विक्रम, अर्जुन और विश्वामित्र अवॉर्ड जीते हैं। मेरे पास तीन और बेटी के पास दो अवॉर्ड हैं। परिवार में हम दोनों ही अंतराष्ट्रीय सेलर हैं। बेटी एकता 2020 के विक्रम अवॉर्ड के लिए चयनित हुई। उसे एकलव्य अवॉर्ड मिला है। 2009 में जब राष्ट्रपति से अर्जुन पुरस्कार लेने पहुंचा था तब बेटी भी मेरे साथ थी। उसी दिन उसे मोटिवेशन मिला। मैं नहीं चाहता था कि वो सेलिंग में उतरे लेकिन उसका जज्बा और जुनून देखकर मैं मजबूर हो गया। उसके पास नौ राष्ट्रीय स्वर्ण, दो अंतराष्ट्रीय पदक हैं।
मेरी बिटिया मेरा गुरुर
पुष्पेंद्र जैन ने बताया, बेटी अक्षिता जैन बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। उसे भारतनाट्यम का शौक था। जिसमें प्रदेश के कई मंचों पर प्रस्तुति देकर भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाया। फिर माइक्रोसॉफ्ट में चयनित हुई। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हूं। तो मुझे देखकर वह इस क्षेत्र में आई। उसने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त कर किए हैं।

गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ा रही
शास्त्रीय गायक दामोदार राव बताते हैं, बेटी वाणी गुरु-शिष्य परंपरा के तहत शास्त्रीय गायन की शिक्षा बचपन से ही हासिल कर रही है। तीन साल की उम्र से ही इस विधा में आ गई थी। मैं तानपुरा के साथ गायन करता था तब वो भी देखती और सुनती थी। तानपुरे के पास ही सो जाती थी। आज वो मेरे साथ ही मंच साझा करती है तो बहुत गर्व होता है। मेरी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। बेटा म्यूजिक डायरेक्शन में हैं। वाणी ने अभी तक नेशनल और स्टेट लेवल पर 17 अवॉर्ड जीते हैं। वो शास्त्रीय गायन के साथ गजल, भजन आदि में भी निपुर्ण हैं। वो देश के कई स्थानों पर अपनी प्रस्तुति देती है।
मां के साथ यात्रा कर बदली जिंदगी
भरतनाट्यम नृत्यांगना आरोही मुंशी ने बताया, मैं अपनी मां लता मुंशी की कला को आगे बढ़ा रही हंू। बचपन से ही घर में संगीत का माहौल रहा है। मनोरंजन के लिए घर में म्यूजिक और डांस ही करती थी। धीरे-धीरे इसमें मेरा रूझान बढ़ता गया। लेकिन जब मां अपनी प्रस्तुति के लिए 2012 में फिजी के टूर पर जा रही थीं तब मैंने भी वहां जाने की जिद की। फिजी में मां की प्रस्तुति को सभी ने सराहा, जिसके बाद मुझे एक प्रेरणा मिली की अब मुझे भी भरतनाट्यम ही करना है। मैं अपनी मां के साथ नेशनल और इंटरनेशन लेवल पर साथ में ही प्रस्तुति देती हूं। अभी तक मुझे कई अवॉर्ड भी मिले हैं।

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