सन ऑफ फार्मर के जवाब में जनरल डायर
भाजपा और कांग्रेस में वीडियो वार
आइटी एक्ट की धारा ६६-ए के हटने का फायदा उठा रही पार्टियां

भोपाल. भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी मुद्दों की जंग के बीच वीडियो वार भी छिड़ गया है। एक-दूसरे को जनरल डायर और दुर्योधन बताया जा रहा है। इस समय सोशल मीडिया में एेसे दो वीडियो चल रहे हैं। पहले वीडियो में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसान पुत्र बताया गया है।
वे दुश्मनों के साथ फिल्मी अंदाज में मारपीट रहे हैं। इसमें प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ, कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद दिग्विजय सिंह को विलेन बताया गया है। उधर, यह वीडियो वायरल होने से कुछ घंटे बाद दूसरा वीडियो जारी हुआ, जिसमें जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसा सीन है।
इस वीडियो में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनरल डायर बताया गया है। दोनों वीडियो राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने वायरल किए हैं, लेकिन दोनों पार्टियां इसकी जिम्मेदारी लेने से बच रही हैं।
- पार्टी एेसे वीडियो के खिलाफ है
भाजपा आइटी सेल के प्रदेश संयोजक शिवराज डाबी का कहना है कि नेताओं के चेहरे लगाकर वीडियो बनाने का प्रचलन अभी तेजी से बढ़ा है। वास्तव में ये कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं या समर्थकों का काम हो सकता है। पार्टी ऐसे वीडियो के खिलाफ है, जिनसे किसी की मानहानि होती हो या छवि खराब होती है। चंूकि स्मार्टफोन में ही अब एेसे वीडियो बनाने के एप मौजूद हैं, इसलिए सोशल मीडिया में इस तरह के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं।
- यह भाजपा की नेगेटिव पब्लिसिटी है
कांग्रेस आइटी सेल के प्रमुख धर्मेंद्र वाजपेयी का कहना है कि कांग्रेस या उसकी आइटी सेल ने मार्फिंग किया हुआ कोई वीडियो सोशल मीडिया में नहीं डाला। भाजपा को चुनाव में हार का डर सता रहा है, इसलिए अब नेगेटिव पब्लिसिटी पर उतर आई है। वो समझ रही है मजाक वाले वीडियो बनाकर लोगों को बहकाया जा सकता है। वाजपेयी ने स्वीकारा कि किसी की छवि खराब करने वाले वीडियो अपराध की श्रेणी में आते हैं।
- क्या कहता है कानून
पहले आइटी एक्ट की धारा ६६-ए के तहत एेसे मामलों में तत्काल कार्रवाई होती थी, जिनमें सोशल मीडिया में किसी विवादित पोस्ट या सामग्री हो। तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने धारा ६६-ए को हटा दिया है। अब सिर्फ धारा ४९९ के तहत मानहानी की कार्यवाही हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक राजनेताओं की सोशल मीडिया पर आलोचना पर अंकुश लगाने के लिए अब आइटी एक्ट की धारा ६७ के उपयोग की तैयारी की जा रही है।
धमकी, फ्रॉड और छवि बिगाडऩे की कोशिश अगर सोशल मीडिया में होती है तो वह अपराध के दायरे में आता है। इसमें साइबर क्राइम और आइपीसी की धाराओं के तहत मामला बनता है। एेसे मामलों पर अदालत में इस्तगासे के माध्यम से भी जाया जा सकता है।
- अरूण गुर्टू, रिटायर्ड डीजीपी
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