भोपाल

पीएससी की असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा में सरकार सुप्रीम कोर्ट में तलब

परीक्षा को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने उठाए थे सवाल, जबलपुर हाई कोर्ट ने याचिकाएं कर दी थीं खारिज.. सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा

भोपालSep 07, 2018 / 08:40 am

दिनेश भदौरिया

The convicts of the attack Court decision

भोपाल. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को लेकर उठे सवालों का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने अभ्यर्थियों की अपील स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने को आदेशित किया है। इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में पूर्व में प्रस्तुत याचिकाओं को प्रिंसिपल बेंच ने खारिज कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने १२ दिसंबर २०१७ को प्रदेश के ३५७ सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स के साढ़े तीन हजार खाली पद भरने के लिए रिक्तियां निकाली थीं। अभ्यर्थियों को २५ दिसंबर २०१७ से २४ जनवरी २०१८ के मध्य आवेदन करना था। आयोग ने यह परीक्षा जून २०१८ में कराई थी। इस परीक्षा में ४० से अधिक विषयों के लिए २५-३० हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया था।

इस परीक्षा के परिणाम पर भोपाल के भी कई अभ्यर्थियों ने सवाल खड़े किए थे। पहले परिणाम में अधिक अंक और बाद में कम अंक प्रदर्शित किए जाने से अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि इन पदों को लेकर प्रकाशित आयोग के नोटिफिकेशन में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि पहले जवाब को सही और बाद में गलत बताने या डिलीट करने पर अभ्यर्थी को कोई लाभ मिलेगा या नहीं। इस खबर को पत्रिका एक्सपोज ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

इस संबंध में सरकार से राहत न मिलते देख कुछ अभ्यर्थी जबलपुर हाईकोर्ट चले गए थे। अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत एसएलपी संख्या २३६५८/२०१८ व २३५४२/२०१८ को खारिज कर दिया गया था। हाई कोर्ट के बाद अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए।

इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में डॉ. ऋचा श्रीवास्तव व अन्य ने अपील संख्या २१२६८/२०१८ के तहत मामला सुने जाने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए बोबडे व जस्टिस एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने अपील स्वाकार करते हुए प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

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