पांच जून को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव अभियान समिति की पहली बैठक लेकर सदस्यों को ये ताकीद कर दिया है कि उनको अपने अपने संभाग में एेसे चेहरे तलाशने हैं जो विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकते हैं। सिंधिया अपने स्तर पर ये सर्वे कराकर कमलनाथ को सौंपेंगे और उसके बाद उम्मीदवारों के नाम तय होंगे। सिंधिया ने सभी सदस्यों से प्रभावी चुनाव अभियान के लिए सुझाव भी मांगे हैं। ये सुझाव ११ जून को होने वाली समिति की अगली बैठक में रखे जाएंगे।
अरुण यादव को पिछड़ा वर्ग की जिम्मेदारी अरुण यादव को प्रदेश की ५२ फीसदी आबादी यानी पिछड़ा वर्ग की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। अरुण भाजपा के ओबीसी महाकुंभ की काट तलाशेंगे। भाजपा हर संभाग में ओबीसी महाकुंभ कर रही है ताकि इस वोट बैंक को भाजपा के पाले में लाया जा सके।
विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग का वोट निर्णायक वोट माना जाता है, इसलिए सिंधिया ने अरुण यादव को इस वर्ग को लुभाने के लिए लगाया है। अरुण यादव भी ओबीसी सम्मेलन करने की तैयारी कर रहे हैं। – कांतिलाल भूरिया को आदिवासियों का प्रभार
दूसरी अहम जिम्मेदारी सांसद कांतिलाल भूरिया को सौंपी गई है। प्रदेश की ४७ सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनकी जिम्मेदारी भूरिया को सौंपी गई है । इन आदिवासी सीटों में कांग्रेस के पास सिर्फ १५ सीट हैं जबकि इससे दोगुनी यानी ३२ सीट भाजपा के खाते में हैं। आदिवासी तबका कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है लेकिन २००३ के बाद ये कांग्रेस छिटक कर भाजपा के पास चला गया। सिंधिया ने भूरिया को इस तबके को वापस कांग्रेस से जोडऩे का जिम्मा सौंपा है।